क्षेत्रीय
30-Apr-2025


ग्वालियर ( ईएमएस ) | काम के घंटे आठ होंगे यह अधिकार मेहनतकश बिरादरी को खैरात में नहीं मिला इसके लिए हजारों मजदूरों ने प्राणों की आहुति दी है । आज से 139 साल पहले 1 मई 1886 को अमेरिका के शहर शिकागो में एक दिन में केवल 8 घंटे काम की मांग को लेकर हजारों मजदूरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में लिए गए निर्णय के बाद 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है ।इस दिन शिकागो के अमर शहीदों एवं उनके द्वारा किए गए संघर्षो को याद किया जाता है। उनके संघर्ष और सफलता से प्रेरणा लेते हुए यह दिन ट्रेड यूनियनों, कर्मचारी संगठनों और कामगारों के सामने आ रही वर्तमान एवं भविष्य की चुनौतियों से निपटने के कारगर उपाय तलाश करने एवं श्रमिक संगठनों की एकता को और अधिक मजबूत बनाने का दिन है। आप जानते हैं इन दिनों कामगारों एवं ट्रेड यूनियनों पर लगातार हमले हो रहे हैं। निरंतर संघर्षों और बलिदानों से प्राप्त श्रमिकों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने वाले पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर मजदूर एवं ट्रेड यूनियन विरोधी नई 4 श्रम संहिताओं (लेबर कोडस्) में इन्हें बदल दिया गया है। इन लेबर कोडस् के लागू होने से अधिकांश मजदूर कानूनी सुरक्षा प्रावधानों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। मालिकों/प्रबंधन को बेरोकटोक छटनी, ले - ऑफ़, क्लोजर व लॉकआउट करने का हक मिल जाएगा। जो कि कामगार एवं ट्रेड यूनियन विरोधी है। महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी के कारण दिन ब दिन लोगों का जीना मुश्किल होता जा रहा है। उधर केंद्र सरकार निजीकरण के एजेंडा को तेजी से आगे बढ़ा रही है और नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन पॉलिसी के माध्यम से करीब करीब सारी सार्वजनिक संपत्तियों को देशी विदेशी पूंजी पतियों को सौंपने की कोशिश में जुटी हुई है। उपरोक्त चुनौतियों के चलते इस वर्ष मई दिवस का महत्व और भी बढ़ गया है। 8वें. केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की घोषणा किये हुए महीनों बीत गए किंतु कोई ठोस और परिणाम परक कार्यवाही आज तक नहीं हुई है। मज़दूर वर्ग की रक्षा करने वाले समस्त श्रम कानून और ट्रेड यूनियन अधिकार हमारे देश के मज़दूरों के दशकों के संघर्ष और उन दिनों मज़दूरों द्वारा किए गए अपार बलिदानों का परिणाम हैं। मई दिवस मज़दूर वर्ग को किसी भी प्रकार के शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए खुद को फिर से संकल्पित करने का और कर्मचारी वर्गों के बीच उभरती चुनौतियों का सामना करने और उन पर विजय पाने के लिए अधिक से अधिक एकजुट रहने की तथा खुद को फिर से प्रतिबद्ध करने का अवसर है। प्रिय साथियों यह आक्रमण बहु स्तरीय हैं और यह केवल कार्यरत कर्मचारियों तक सीमित नहीं है।इस हमले की जद में पुराने एवं नए पेंशन भोगी, वर्षों से कार्यरत आकस्मिक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी सभी आते हैं। नियमों की मनमानी व्याख्या और पक्षपात पूर्ण तरीके से पोस्टल सहित अनेक केंद्रीय कर्मचारी संगठनों की मान्यता छीन ली गई है और न्यायलयों के फैसलों को भी अनदेखा किया जा रहा है। अब वक्त आ गया जब हमें इन जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ देश प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठनों, किसानों एवं कर्मचारियो , पेंशनर्स सहित सभी को इन हमलों को संयुक्त सशक्त और एकजुट आंदोलनों के माध्यम से ही रोका जा सकता है।बढ़ती हुई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए आगामी सभी कार्यक्रमों में हमारे सभी सक्रिय सदस्यों की अधिक से अधिक भागीदारी की आवश्यकता है। इसी कड़ी में ग्वालियर में 1 मई 2025 गुरुवार को सायंकाल 05:00 बजे शिवाजी पार्क पाटणकर बाजार से महाराज बड़े तक जुलूस निकाला जाएगा जो बाद में महाराज बाड़े पर आम सभा के रूप में बदल जाएगा । जुलूस में केंद्रीय श्रम संगठनों एवं अन्य ट्रेड यूनियनो के साथ साथ कर्मचारी संगठन पेंशनर्स संगठन के साथी गण आवश्यक रूप से अपने साथियों सहित यूनियन के बैनर के साथ शामिल होने की अपील की जाती है ।