ब–याद महमूद ज़की सिलसिला ए अदब की माहना तकरीब भोपाल की ख़्वातीन के लिए खुसूसी तौर पर की गई मुनक़िद भोपाल(ईएमएस)। नजरिया बेहतर होता है तो नजारा भी खूबसूरत बन जाता है... अच्छे नजरिए से किए गए कामों का अंजाम भी हमेशा बेहतर ही आता है। सुखन की महफिल से सुखद पल जुटाने की नीयत से नया नजरिया परिवार ने जो सिलसिला-ए-अदब शुरू किया, उसकी राहतें अब शहर का अदबी कुनबा महसूस भी करने लगा है और उसमें सराबोर भी होने लगा है। सिलसिला आगे बढ़ा तो इस तरंग से दुनिया की आधी आबादी को कैसे बिसराया जा सकता है। इसी मंशा के साथ इस बार की महफिल ख़्वातीन के नाम की गई, जो कि एक नई पहल थी, अब तक ऐसा नहीं हुआ कि सदर से लेकर निज़ामत और मेहमानों और सुनने वाले सब के सब सिर्फ ख़्वातीन हों और सब एक जगह जमा हों। सेहतमंद सहाफत के साथ उर्दू की अदबी सहाफत को फ़रोग देने में रोज़नामा नया नज़रिया की कोशिशें काबिल मुबारकबाद हैं। इन खयालात का इज़हार ब याद महमूद ज़की रोज़नामा नया नज़रिया के सिलसिला ए अदब की माहना तक़रीब महफिल ए शायरात की सदारत करते हुए मध्य प्रदेश ऊर्दू एकेडमी की डायरेक्टर डॉ नुसरत मेहदी ने किया। उन्होंने ने मज़ीद कहा कि डॉ नज़र महमूद ने रिवायत की जो पासदारी की है वह अहमियत की हामिल है। डॉ नजर महमूद नया नज़रिया के ज़रिए उर्दू की तख़लिकी सहाफत को जिस तरह से फ़रोग दे रहे हैं वह भी बहुत अहम है। विरासत बहुत लोगों को मिलती है लेकिन चंद लोग ही होते हैं जो विरासत को न सिर्फ संभालते हैं बल्कि उसको आगे बढ़ाते हैं। महमूद ज़की साहब ने उर्दू के सिलसिले में जो रिवायत क़ायम की है उसको डॉ नजर महमूद, इशरत नाहिद और उनके अहले खाना के सब ही लोग आगे बढ़ा रहे हैं जिसके लिए सब मुबारकबाद के मुस्ताहिक हैं। प्रोग्राम की मेहमान खुसूसी ज़िया उल हसन यूनानी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. महमूदा बेगम ने अपने खयालात का इज़हार करते हुए कहा कि यहां आकर मुझे जो खुशी और सुकून मिला है उसको अल्फ़ाज़ में बयान नहीं किया जा सकता है। यहां सब ही से मुलाकात का मौका मिला और रोज़नामा नया नज़रिया ने सिलसिला ए अदब की जो महफिल शायरात सजाई है, उसमें खूबसूरत शायरी पेश की गई है। प्रोग्राम की एक और मेहमान खुसूसी अदीबा डॉ रज़िया हामिद साहेबा ने अपने खयालात का इज़हार करते हुए कहा कि उर्दू ज़बान ओ अदब के फ़रोग में बेग़मात भोपाल ने बहुत अहम ख़िदमात अंजाम दी हैं। रोज़नामा नया नज़रिया ने बेहतरीन पहल की है इसके लिए डॉ नजर महमूद को मुबारकबाद पेश करती हूं। ये सिलसिला चलते रहना चाहिए। प्रोग्राम की मेहमान ज़ीविक़ार और मध्य प्रदेश होम्योपैथी काउंसिल की रजिस्ट्रार डॉ आयशा अली ने कहा कि रोज़नामा नया नज़रिया की इस खास महफिल में लोगों से मुलाकात करके दिल खुश हो गया। दिल को छूने वाली शायरी सुनाई गई। हमारी नई नस्ल उर्दू से दूर होती जा रही है ऐसे में रोज़नामा नया नज़रिया की ये कोशिश नई नस्ल को ज़बान से जोड़ने का बेहतरीन क़दम है। उनके इस काम के लिए मै मुबारकबाद पेश करती हूं । मुमताज समाजी कारकून और प्रोग्राम की एक और मेहमान रईसा मलिक ने कहा कि इस महफिल की खास बात यह है कि इस में सिर्फ ख़्वातीन ही ख़्वातीन हैं, यहां सदारत, निज़ामत , मेहमान और शायरात के साथ सुनने वाली भी सिर्फ ख़्वातीन ही हैं, ऐसी महफिल आज से पहले कभी भोपाल में नहीं देखी। इससे पहले फिरदौस नाहिद ने सिलसिला ए अदब के तालुक से तफसीली रोशनी डाली और मेहमानों का इस्तकबाल करते हुए अपने वालिद मोहतरम की यह शायरी पढ़ी नए चिराग़ जलाओ खुलूस ए दिल के साथ के तीरगी में भटकना बड़ी जहालत है प्रोग्राम की निज़ामत करते हुए डॉ अम्बर आबिद ने तमाम मेहमानों और शायरात का परिचय दिया। तकरीब की सदर डॉ नुसरत मेहदी का इस्तकबाल फिरदौस नाहिद ने तोहफा पेश करते हुए किया। प्रो, महमूदा बेगम और डॉ आयशा अली का इस्तकबाल साजिद परवीन ने किया। डॉ रज़िया हामिद का इस्तेकबाल फराह नाज ने किया जबकि रईसा मलिक का इस्तेकबाल जोहा रहमानी ने किया। शायरात में डॉ परवीन कैफ का इस्तेकबाल प्रो जरीना खातून ने , खालिदा सिद्दीक का इस्तेकबाल असमा अंजुम ने, नफीसा आना का इस्तेकबाल एमन ज़िकरा ने, डॉ अम्बर आबिद का इस्तेकबाल जोहा रहमानी ने , डॉ गोसिया खान सबीन का इस्तेकबाल बारीना सिदिक ने, अपर्णा जी का इस्तेकबाल फिरदौस नाहिद ने, रुश्दा जमील का इस्तेकबाल डॉ राहत रहमान ने , नम्रता श्रीवास्तव का इस्तेकबाल प्रो सबा अज़ीम ने तोहफा पेश करते हुए किया। सिलसिला-ए-अदब की महफिल महिलाओं को समर्पित की गई। अदब की दुनिया में अपनी खास पहचान से दुनिया भर में अपने शहर का नाम रौशन कर चुकीं महिला शायर इस महफिल खास का हिस्सा थीं। खास बात यह भी रही कि इसमें मेहमानों से लेकर निजामत तक का जिम्मा महिलाओं ने ही संभाला। अपने शेर ओ कलाम के साथ महफिल की रौनक बनीं शायरात ने भी इस कार्यक्रम को खास और यादगार बनाने में कसर नहीं छोड़ी।महफिल को इन्होंने अपने कलाम से बेहद खूबसूरत बना दिया जिनमें नामवर शायरात मौजूद थीं। डॉ परवीन कैफ, खालिदा सिद्दीक, नफीसा सुल्ताना, नम्रता श्रीवास्तव, डॉ. गौसिया खान, अपर्णा परतेकर की तरफ से जब शेर ओ कलाम की बारिश शुरू हुई तो तपती दोपहर में सुकून और ठंडक का माहौल छा गया। सूफियाना, इश्क, सामाजिक हालात से लेकर तंज ओ मजाहिया तक के नजारे लहराते गए और महफिल को खुशगवार बनाते रहे। महफिल ए शायरात के एक हिस्से में शेर ओ ग़ज़ल से हटकर अफसांचे को भी जगह दी गई। रुश्दा जमील ने अपने अफ़सांचा से मौजूद श्रोताओं को कई पहलू पर सोचने पर मजबूर कर दिया। कम शब्दों में ज्यादा और बड़ी बात कहने का तरीका रुश्दा ने बखूबी निभाया। अंग्रेजी लिटरेचर से डॉक्टरेट करने के बाद उर्दू की खिदमत में जुटे हुए डॉ. नजर महमूद के इस खास प्रयास को सराहा भी जा रहा है और इसके लिए उनकी प्रशंसा भी की जा रही है। कार्यक्रम को तरतीब देने में खास भूमिका निभाने वाले सीनियर जर्नलिस्ट डॉ महताब आलम थे। हरि प्रसाद पाल / 29 अप्रैल, 2025