राज्य
29-Apr-2025
...


:: जीवन में विधि के बिना कुछ नहीं होता : आचार्य विशुद्ध सागर महाराज :: 388 संत, आर्यिका व जैन धर्मावलंबी बनेंगे पट्टाचार्य पद के साक्षी :: इन्दौर (ईएमएस)। इस जगत को चलाने वाली एक शक्ति है जो अदृश्य है उसे कोई पहचान ओर समझ नहीं पाया। जिसने जैसा पाया वैसा नाम दे दिया। किसी ने प्रभु कहा, ईश्वर कहा, किसी ने विधाता कहा, ब्रह्मा कहा, देव, भाग्य और कर्म की भी संज्ञा दी गई। लेकिन वास्तविकता यह है कि यह कल्पनाओं में नहीं आपके पास है। विधि के माध्यम से सब संचालन हो रहा है इस बात को जिन शासन स्वीकारता है और जो यह सूत्र जानता है वह आनंदित है इसलिए इस विधि को ही समझना पड़ेगा। सभी का मिलना बिछड़ना विधि का विधान है। तो जो हो रहा है वह विधि है। जो होगा वह विधि है और जो हो चुका है वह भी विधि का विधान ही है। एक के पास खाने को नहीं और एक रतनो में तोला जा रहा है। इसलिए मैं संपूर्ण देश से कहता हूं कि रोना बंद करो। सूर्य पूर्व में उगता है आप लाख कोशिश कर लो उसकी दिशा नहीं बदली जा सकती। जब तक विधि का विधान नहीं समझोगे घरों में कलह, भाइयों में झगड़ा और देश में अशांति खत्म नहीं होगी। उक्त विचार आध्यात्म योगी शताब्दी देशनाकार आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने गांधी नगर गोधा एस्टेट स्थित सुमतिधाम में आयोजित 6 दिवसीय पट्टाचार्य महोत्सव के तीसरे दिन देशना मंडप में प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने दृष्टांत के माध्यम से कहा कि जैसे फ्रिज में सब्जी फल रखने से ज्यादा लंबे समय तक टिकते हैं इस तरह मस्तिष्क को विधि के शीत ग्रह में रखना होगा तो वह लंबे समय तक सुरक्षित रहेगा सड़ेगा नहीं। मंगलवार को पट्टाचार्य महोत्सव के तीसरे दिन नागपुर, हैदराबाद, सागर, भोपाल व देश विदेश के गुरु भक्तों ने 12 आचार्यों को उपकरण के रूप में नवीन पिच्छी व कमंडल भेंट किए वहीं पुरानी पिच्छी कमंडल के लिए उपस्थित धर्मावलंबियों में होड़ मच गई। सभी धर्मालुओं ने आचार्यश्री व उनके संसघ को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। सुमतिनाथ दिगंबर जिनालय गोधा एस्टेट, पट्टाचार्य महोत्सव समिति, गुरू भक्त परिवार एवं मनीष-सपना गोधा ने बताया कि मंगलवार को सुमतिधाम के देशना मंडप में उपस्थित 11 आचार्य, 8 उपाध्याय, 140 मुनिराज का पाद-पक्षालन किया गया। दोपहर में भट्टारक सम्मेलन हुआ। कर्नाटक प्रांत से भट्टारक स्वामी पधारे, उनका बहुमान सपना-मनीष एवं गोधा परिवार द्वारा किया गया। अंतर्राष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. उज्जवल पाटनी ने कहा कि आचार्य विशुद्ध सागर यूनिक पब्लिक स्पीकर है, उनका व स्तुत्व महाकाव्य युगों-युगों तक जयवंत होगा। विश्व हिन्दू परिषद के डॉ. हुकुमचंद सांवला ने भी संबोधित किया। आचार्य पुष्पदंत सागर, मुनिराज, आर्यिका माताजी के मंगल प्रवचन भी हुए। सुबह के सत्र में विधानाचार्य के निर्देशन में सभी विधियां संपन्न हुई। दोपहर में आचार्यश्री के सान्निध्य में शास्त्र प्रदर्शनी का उद्घाटन गुरू भक्तों द्वारा किया गया। रात्रि 9 बजे स्वस्ति मेहुल की भजन संध्या हुई जिसमें गुरू भक्त परिवार ने खूब आनंद उठाया। :: पट्टाचार्य पद संस्कार महोत्सव में आज ड्रोन शो भी होगा :: गुरू भक्त परिवार ने बताया कि 6 दिवसीय पट्टाचार्य महोत्सव का मुख्य उत्सव बुधवार 30 अप्रैल को आयोजित होगा। अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर आचार्य विशुद्ध सागर महाराज का पट्टाचार्य महोत्सव गणाचार्य विराग सागर की आज्ञा से पट्टाचार्य की उपाधि लेंगे। विधानाचार्य धर्मचन्द्र शास्त्री, चन्द्रकांत ईंडी, नीतिन झांझरी के निर्देशन में सुबह 5.15 बजे स्तुति, देव स्तवन, आचार्य वंदना, स्वाध्याय के पश्चात सुबह 6 बजे अभिषेक व शांतिधारा की विधियां संपन्न होगी। प्रात: 6.30 बजे मंगल जुलूस परिसर में ही निकलेगा। प्रात: 7 बजे से पट्टाचार्य पद प्रतिष्ठा संस्कार समारोह आयोजित होगा। जिसमें सभी 36 संस्कार विधि-विधान से किए जाएंगे। जिसमें कलश स्थापना ,भूमि शुद्धि, स्थान शुद्धि, व सिंहासन की शुद्धि की जाएगी उसके बाद समाज व गुरु भक्त निवेदन करेंगे और विशुद्ध सागर महाराज को सिंहासन पर बैठाएंगे। पट्टाचार्य पद के माता-पिता बनने का सौभाग्य सपना-मनीष गोधा परिवार को प्राप्त हुआ है। इसी के साथ रात्रि में आरती, लेजर शो व ड्रोन शो के साथ ही सम्राट खारवेल नाटिका मंचन कलाकारों द्वारा किया जाएगा। :: गणाचार्य विराग सागर की आज्ञा से बनेंगे पट्टाचार्य :: आचार्य विशुद्ध सागर महाराज की शिक्षा-दीक्षा गुरू व आचार्य पद प्रदान करने वाले गणाचार्य विराग सागर महाराज ने अपनी मृत्यु पूर्व मृत्यु को जान लिया था। अपनी समाधि के एक दिन पूर्व ही उन्होंने वीडियो रिकार्ड कराया और अपने 550 शिष्य-प्रशिष्यों को कहा कि आचार्य विशुद्ध सागर महाराज संपूर्ण संघ का संचालन करेंगे। सभी उन्हीं की आज्ञा में चलेंगे। वर्तमान काल में गणाचार्य विराग सागर द्वारा दिए गए वीडियो संदेश की सर्वत्र चर्चा है। गणाचार्य विराग सागर महाराज के गुरू आचार्य विमल सागर महाराज को निमित्त ज्ञानी कहा जाता था। उसी परंपरा में गणाचार्य ने भी अपनी मृत्यु पूर्व मृत्यु को जान लिया था, इसी के कारण आज यह पट्टाचार्य पद महोत्सव हो रहा है। 4 जुलाई 2024 को गणाचार्य विराग सागर महाराज की समाधि जालना महाराष्ट्र के समीप अत्यंत ही शांत भाव से हुई थी। उन्होंने अनेक ग्रंथ लिखे, 500 शिष्य-प्रशिष्यों को शिक्षा-दीक्षा प्रदान की। 150 से अधिक समाधि भी उन्होंने कराई। जिससे उन्हें समाधि सम्राट भी कहते थे। बुंदेलखंड की भूमि से वे प्रथम आचार्य बने इसलिए उन्हें बुन्देलखंड का प्रथमाचार्य भी कहते हैं। :: पट्टाचार्य पद क्या हैं :: विधानाचार्यों ने बताया कि गुरू की आज्ञा से उनके द्वारा चयनित को उनके पट्ट पर विधि-विधान पूर्वक घोषित आचार्य को पट्ट पर विराजमान कराने जैसा महोत्सव पट्टाचार्य महोत्सव है। पट्टाचार्य भी आचार्य जैसे ही होते हैं जो संपूर्ण संघ जिससे आचार्य, उपाध्याय, दिगंबर मुनि, आर्यिका माताजी, ऐलक महाराज, क्षुल्लक-क्षुल्लिका, ब्रह्मचारी भैय्या-दीदी के प्रमुख होते हैं। जिनकी आज्ञा में संपूर्ण चतुविध संघ संचालित होता है। दीक्षा देना, गलती होने पर प्रायश्चित देना, संपूर्ण संघ में अनुशासन का पालन करना और कराना समाधि कराना, चातुर्मास हेतु स्वीकृति देना, स्वाध्याय करना, अपने संघ में जिम्मेदारियां प्रदान करना। ये सभी कार्य पट्टाचार्य पदवी धारण करने पर होते हैं। एक आचार्य के रूप में केवल अपने संघ का नेतृत्व करना होता हैं। पट्टाचार्य के रूप में गणाचार्य विराग सागर द्वारा दीक्षित सभी शिष्य-प्रशिष्यों को भी दिशा-निर्देश पट्टाचार्य के रूप में अब विशुद्ध सागर जी महाराज प्रदान करेंगे। :: जैन संस्कार सीख रहे बच्चे :: सुमति धाम जहां बड़े बुजुर्ग स्त्री पुरुषों के लिए धर्म से जोडऩे का साधन बना हुआ है वही बच्चों के विशेष आकर्षण का केंद्र गेम जोन है। यहां जैनत्व संस्कार के लिए जैन पजल, तीर्थंकर छूप-छूप्पी ,जैन सीक्वेंस, कौन बनेगा धर्म शिरोमणि, जैन सांप सीढ़ी, मम्मी की पाठशाला पापा की प्रयोगशाला जैसे गेम विशेष बच्चों के लिए ही बनाय गए है।वही तीर्थ विहार ट्रैवल्स के माध्यम से वर्चुअल श्रावणबेलगोला का महामस्तकाभिषेक, तीर्थराज शिखरजी व अन्य तीर्थ के दर्शन वीआर तकनीक के माध्यम से कराए जा रहे हैं। :: ई-कार्ड सेवा चिलचिलाती गर्मी में बनी सहायक :: 65 एकड़ में आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में डारमेंट्री, एयर कंडीशन कॉटेज, ज्ञान शाला, विराग उदय, आचार्य विराग सागर महाराज द्वारा लिखित शास्त्र प्रदर्शनी, बाल संस्कार शिविर, प्ले झोन, इमर्सिव झोन, स्वर्ग, नर्क, समवशरण रचना, चाय-काफी शॉप सहित अनेक अभूतपूर्व व्यवस्थाएं की गई है। जिसमे हर दिन हजारों गुरू भक्तों का आगमन हो रहा है। भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए पूरा परिसर वातानुकूलित बनाया गया है। वही बच्चे बुजुर्गों और महिलाओं को आने जाने के लिए ई कार्ट सेवा सहायक बनी हुई है। उमेश/पीएम/29 अप्रैल 2025