29-Apr-2025
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यूएसएफडी तकनीक से संरक्षा होगी सुनिश्चित जबलपुर, (ईएमएस)। जबलपुर मंडल में रेल पटरियों की आंतरिक संरचना की सूक्ष्म जांच के लिए अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन (यूएसएफडी) तकनीक का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है। यह नवीनतम तकनीक रेल की पटरियों में समय के साथ उत्पन्न होने वाले आंतरिक दोषों को प्रारंभिक अवस्था में ही चिन्हित कर लेती है, जिससे आवश्यक अनुरक्षण कार्य समय पर पूरा किया जा सके और यात्री व मालगाड़ियों का परिचालन पूरी तरह सुरक्षित और संरक्षित रह सके। जबलपुर मंडल में वर्तमान में लगभग 2582 किलोमीटर ट्रैक की नियमित रूप से यूएसएफडी मशीनों द्वारा जांच की जा रही है। इस जांच की आवृत्ति ट्रेनों के आवागमन के घनत्व (जीएमटी) पर आधारित होती है और मंडल के विभिन्न सेक्शनों में प्रत्येक माह (उस सेक्शन की जाँच आवर्ती के अनुसार ) में ट्रैक की जाँच की जाती है। मंडल में वर्तमान में कुल 13 यूएसएफडी टीमों का गठन किया गया है, जिनमें 13 मशीने एवं 26 प्रशिक्षित इंजीनियर कार्यरत हैं। ये सभी इंजीनियर बी-स्कैन यूएसएफडी मशीनों से लैस हैं, जो ट्रैक की आंतरिक स्थिति को डिजिटल रूप में दर्ज कर तुरंत विश्लेषण की सुविधा प्रदान करती हैं। वेल्ड की सटीक जांच हेतु सभी टीमों को डिजिटल वेल्ड टेस्टर भी प्रदान किए गए हैं, जिससे वेल्डिंग खामियों का सटीकता से पता लगाया जा सके। ट्रैक जांच के दौरान संपूर्ण कार्य का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाता है, जिसे विश्लेषण कर आवश्यक कार्रवाई की जाती है। इस वर्ष जबलपुर मंडल ने अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके रेल, वेल्ड और रेल घटकों के अल्ट्रासोनिक दोष का पता लगाने में प्रदर्शन का उदाहरण दिया है। जबलपुर मंडल ने यूएसएफडी परीक्षण को 100 प्रतिशत बी-स्कैन 9 चैनल रेल परीक्षण मशीन में अपग्रेड किया है। जबलपुर मंडल 2582 किलोमीटर ट्रैक (एमएल+पीआरएल) में फैला हुआ है | यूएसएफडी टीम ने वित्त वर्ष 2023-24 में 10112.68 किलोमीटर ट्रैक पर परीक्षण किया है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 9114.73 किलोमीटर ट्रैक के लक्ष्य से 10.95 प्रतिशत अधिक है। यूएसएफडी टीम ने वित्त वर्ष 2024-25 में 11211.437 किलोमीटर ट्रैक का परीक्षण किया है, जो 2023-24 के लक्ष्य से 86.43 किमी अधिक है और वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 10.87 प्रतिशत अधिक है। सावधानीपूर्वक और विस्तृत यूएसएफडी परीक्षण और विवरण के माध्यम से यूएसएफडी परीक्षण से 82 रेल , 76 बेल्ड रेल दोषों को हटा दिया गया है और यूएसएफडी टीम और मशीन की बढ़ी हुई क्षमता के साथ चलने वाली लाइनों की सुरक्षा में वृद्धि हुई है। जिनकी तत्काल मरम्मत कर दी गई, जिससे ट्रेनों के संचालन में कोई व्यवधान न आए और संरक्षा मानकों का पूर्ण पालन हो सके। जबलपुर मंडल के यूएसएफडी इंजीनियरों को समय-समय पर आरडीएसओ लखनऊ एवं इरिसेन पुणे जैसे संस्थानों में विशेषज्ञ प्रशिक्षण हेतु भेजा जाता है, ताकि वे नवीनतम तकनीकी मानकों के अनुरूप कार्य कर सकें और संरक्षा में निरंतर सुधार किया जा सके। यूएसएफडी तकनीक आज भारतीय रेलवे की संरक्षा प्रणाली का एक अविभाज्य अंग बन चुकी है। यह न केवल ट्रैक की विश्वसनीयता और स्थायित्व को सुनिश्चित करती है, बल्कि समय रहते खतरों की पहचान कर संभावित दुर्घटनाओं की रोकथाम में भी सहायक सिद्ध हो रही है। सुनील साहू / मोनिका / 29 अप्रैल 2025/ 06.30