ओटावा,(ईएमएस)। खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का अकसर बचाव करने वाले जगमीत सिंह की कनाडा चुनाव में करारी हार हुई है। कनाडा के खालिस्तान समर्थक नेता की इस हार से अलगाववादी एजेंडे को झटका लगा है। हार स्वीकारते हुए जगमीत सिंह ने सांसदी से इस्तीफा दे दिया है उनकी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को भी करारी शिकस्त मिली है और इसके चलते उसका राष्ट्रीय दल का दर्जा भी छिन सकता है। किसी भी दल का राष्ट्रीय दर्जा बरकरार रखने के लिए कम से कम 12 सीटें जीतना जरूरी है, जिसमें एनडीपी को सफलता नहीं मिली है। जगमीत बीते कई चुनावों से खुद को किंगमेकर के तौर पर देखते थे, लेकिन इस बार वह कमजोर साबित हुए। एक तरफ जगमीत सिंह ने अपनी ही सीट गंवा दी तो वहीं पार्टी का भी बुरा हाल है। ब्रिटिश कोलंबिया की बर्नेबी सेंट्रल सीट से वह मैदान में उतरे थे, जहां लिबरल पार्टी के उम्मीदवार ने उन्हें हराया है। जगमीत को 27.3 फीसदी वोट ही मिले, जबकि वेड चांग को 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिले। जगमीत सिंह अपने संसदीय क्षेत्र में तीसरे नंबर पर आए हैं। जगमीत सिंह ने कहा कि इस हार से मैं निराश हूं। मैं अपने मूवमेंट को लेकर निराश नहीं हूं। मुझे भरोसा है कि भविष्य में हमारी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। जगमीत सिंह के साथ ही पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो की पार्टी की भी करारी हार हुई है। वहीं लिबरल्स को सत्ता में आने का मौका मिला है। अब तक आए नतीजों से साफ हो गया है कि फिर से प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी सत्ता में रहेगी। ‘कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन’ ने मतगणना के शुरुआती रुझान आने के बाद यह दावा किया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कनाडा के अमेरिका में विलय की धमकियों और व्यापार युद्ध ने लिबरल पार्टी की इस जीत में अहम भूमिका निभाई। चुनावी विश्लेषकों के मुताबिक शुरुआत में कनाडा में माहौल लिबरल पार्टी के समर्थन में नहीं दिख रहा था, लेकिन ट्रंप की ओर से कनाडा को बार-बार 51वां राज्य संबोधित करने और ट्रूडो को गवर्नर बताए जाने से माहौल बदल गया। कनाडा वासियों को लगा कि जस्टिन ट्रूडो अब प्रभावी नहीं रहे हैं। यही वजह है कि कार्नी की पार्टी की शानदार जीत हुई है। सिराज/ईएमएस 29अप्रैल25