नई दिल्ली (ईएमएस)। नियमित रूप से किताब पढ़ने की आदत न सिर्फ याददाश्त को तेज बनाती है, बल्कि मानसिक विकारों के खतरे को भी कम करती है। किताब पढ़ना दरअसल दिमाग के लिए एक एक्सरसाइज जैसा होता है। जब आप पढ़ते हैं, तो आपका दिमाग विचारों, तथ्यों और कल्पनाओं को प्रोसेस करता है। इससे ब्रेन की एक्टिविटी बढ़ती है और उसकी कार्यक्षमता बेहतर होती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रोजाना सिर्फ 1 से 2 घंटे पढ़ने से मेंटल फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार होता है और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा घट जाता है। इसके अलावा, जब कोई उपन्यास या कहानी पढ़ते हैं, तो हम किरदारों की भावनाओं और सोच को समझने लगते हैं। इससे हमारी सहानुभूति की भावना विकसित होती है और दूसरों के प्रति व्यवहार में संवेदनशीलता आती है। पढ़ने की आदत सामाजिक रिश्तों में भी सुधार लाती है और हमें एक बेहतर श्रोता और वक्ता बनाती है। शब्दावली में विस्तार होता है, और लिखने की कला में भी निखार आता है। एक और चौंकाने वाली बात यह है कि किताब पढ़ना तनाव को कम करता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है। मोबाइल या टीवी की स्क्रीन की बजाय अगर आप सोने से पहले किताब पढ़ें, तो यह शरीर और दिमाग को शांति देता है। इससे अच्छी और गहरी नींद आती है। किताबें पढ़ना न सिर्फ मन को शांत करती हैं, बल्कि जीवन को एक सकारात्मक दिशा भी देती हैं। कुल मिलाकर, किताबें सिर्फ ज्ञान नहीं देतीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक विकास में भी अहम भूमिका निभाती हैं। इसलिए अगर आप अब तक किताबों से दूरी बनाए हुए हैं, तो अब वक्त है कि आप उन्हें अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। हमेशा से कहा जाता है कि किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं और यह बात बिल्कुल सच भी है। किताबें केवल ज्ञान का भंडार नहीं होतीं, बल्कि ये हमारी मानसिक सेहत के लिए भी फायदेमंद साबित होती हैं। आज जब सबकुछ डिजिटल होता जा रहा है और लोग इंटरनेट पर निर्भर हो गए हैं, तब किताबों से दूरी बनती जा रही है। सुदामा/ईएमएस 29 अप्रैल 2025