मुंबई, (ईएमएस)। महाराष्ट्र भर की जेलों के संबंध में क्या नियम हैं? वहां कैदियों के स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखा जाता है? इसको लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से महाराष्ट्र जेल विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जेल मैनुअल नहीं होने को लेकर फटकार लगाई थी और जल्द ही जेल मैनुअल को वेबसाइट पर उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था। जिसके बाद सोमवार को राज्य सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि यह सारी जानकारी देने वाला जेल मैनुअल राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है। यह जानकारी न्यायाधीश रेवती मोहिते-डेरे और न्यायाधीश डॉ.नीला गोखले की पीठ को दी गई। पुणे की यरवदा जेल में प्रस्तावित अस्पताल का मुद्दा याचिकाकर्ताओं की वकील गायत्री सिंह ने उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया था। उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया है कि जेल में अस्पताल बनाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है और उसे इसके लिए धन उपलब्ध कराना चाहिए। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार ने जेल में कैदियों को दी जाने वाली सभी सुविधाओं की जानकारी पेश की। बता दें कि इस संबंध में अरुण भेलके ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। भेलके और उनकी पत्नी को 2014 में गिरफ्तार किया गया था। दोनों फिलहाल पुणे की यरवदा जेल में बंद हैं। 2020 में उनकी पत्नी गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं। फिर भी, सत्र न्यायालय ने उन्हें इलाज के लिए जमानत नहीं दी। इसके कारण उनकी पत्नी की जेल में मृत्यु हो गई। केंद्र सरकार पहले ही सुझाव दे चुकी है कि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त कैदियों को इलाज के लिए जमानत दी जाए। इस याचिका में मांग की गई है कि इसे उचित तरीके से क्रियान्वित किया जाए। संजय/संतोष झा- २९ अप्रैल/२०२५/ईएमएस