:: सुमतिधाम पर 6 दिवसीय पट्टाचार्य महोत्सव के दूसरे दिन 40 डिग्री की तपन भी गुरू के प्रति आस्था व श्रद्धा को नहीं डिगा पाई :: :: 28 राज्यों व विदेशों से पहुंचे भक्तों ने लिया आचार्यश्री व संतों का आशीर्वाद :: :: लेजर लाईट शो ने मोहा गुरू भक्तों का मन :: :: अत्याधुनिक तकनीकी वाद्य यंत्रों से हुई सुमतिनाथ भगवान की महाआरती जैन धर्मावलंबी के बीच चर्चा का विषय बनी :: इन्दौर (ईएमएस)। मौसम अपना धर्म नहीं छोड़ता, ऋतु अपना धर्म नहीं छोड़ती, हमसे गुरू भक्ति कैसे छूट सकती हैं। ध्यान रहे गुरू के प्रति श्रद्धा होने से ही ज्ञान होता है। जीवन में अनेकांत और स्वाध्याय का होना आवश्यक है। एक वस्तु में अनेक धर्म होते हैं। आचार्यश्री ने दृष्टांत के माध्यम से बताया कि संसार में आम को देखकर मुंह में लार रसायन उत्पन्न होते हैं। उसी प्रकार भगवान के दर्शन से सम्यकदर्शन की प्राप्ति होती हैं और मिथ्यात्व की समाप्ति होती हैं। यदि गुरू के प्रति शिष्य श्रद्धा न रखें तो उसे ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता। आचार्यश्री विशुद्ध सागर ने प्रवचनों में आगे कहा कि प्रकृति में सर्दी, गर्मी, वर्षा अपना स्वभाव नहीं छोड़ सकती उसी प्रकार जैन धर्म की कल्पना बगैर रसायन संभव नहीं है। वस्तु की विशालता वस्तु से नहीं दृष्टि से होती हैं। जगत में ऐसा कोई मंत्र नहीं जो एकांत में हो और कोई वस्तु नहीं जो एकांत में हो। गुरू और शिष्य की एक-दुसरे के प्रति श्रद्धा का होना जरूरी हैं जब तक श्रद्धा नहीं होगी तब तक ज्ञान का उदय नहीं होगा। उक्त विचार आध्यात्म योगी शताब्दी देशनाकार आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज ने गांधी नगर गोधा एस्टेट स्थित सुमतिधाम में आयोजित 6 दिवसीय पट्टाचार्य महोत्सव के दूसरे दिन देशना मंडप में प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा कि जिस घाट पर गाय ओर शेर एक साथ पानी पीते हैं वहां जिन धर्म होता है। जिन शासन ही मेरा संघ हैं, जिन आज्ञा ही मेरी परंपरा है। देशना मंडप में विराजमान आचार्यश्री पुष्पदंत सागर महाराज एवं गणिनी आर्यिका माता ने भी गुरू भक्तों पर प्रवचनों की अमृत वर्षा की। सोमवार को पट्टाचार्य महोत्सव के दुसरे दिन भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के पदाधिकारियों ने भी आचार्यश्री व उनके संसघ को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। सोमवार को आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज की आहारचर्या का सौभाग्य प्रभा देवी गोधा, मनीष-सपना गोधा परिवार को प्राप्त हुआ। आचार्यश्री के साथ ही 12 आचार्य, 8 उपाध्याय, 140 दिगंबर मुनि, 9 गणिनी आर्यिका, 123 आर्यिका माता जी, 105 ऐलक, क्षुल्लक, क्षुल्लिका की आहारचर्या भी इन्हीं 360 चौकों में संपन्न हुई। दोपहर में प्रसिद्ध उद्योगपति अशोक पाटनी (आर के मार्बल) सहपरिवार पहुंचे उन्होंने सौभाग्य सदन में आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। सुमतिनाथ दिगंबर जिनालय गोधा एस्टेट, पट्टाचार्य महोत्सव समिति, गुरू भक्त परिवार एवं मनीष-सपना गोधा ने बताया कि सुमतिधाम में गणाचार्य विराग सागर महाराज की प्रेरणा व मार्गदर्शन में निर्मित विरागोदय तीर्थ की प्रतिकृति गुरू भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। गणाचार्य विराग सागर महाराज के साहित्य सृजन को भी अलग से स्वाध्याय मण्डप बनाकर प्रस्तुत किया गया है। गौरतलब है कि गणाचार्य विराग सागर महाराज का जन्म सागर जिले के पथरिया ग्राम में हुआ था। अल्पायु में वैराग्य धारण कर उन्होंने निमित्त ज्ञानी आचार्यश्री विमल सागर महाराज से दीक्षा ग्रहण की थी। उनके द्वारा प्रदत्त आचार्य पद के बाद उन्होने 9 संतों को आचार्योंश्री की उपाधि दी। उनके शिष्य-प्रशिष्यों की संख्या 500 से अधिक है। उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की जो स्वाध्याय मण्डप में प्रदर्शित किए गए हैं। :: कठिन होती हैं मुनियों की आहारचर्या :: गुरू भक्त परिवार ने बताया कि दिगंबर मुनियों की आहारचर्या में बनने वाले भोजन में चार प्रकार की शुद्धि का होना आवश्यक हैं। द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की शुद्धि के साथ बनाया हुआ आहार ही संत ग्रहण करते हैं। चार शुद्धि की आवश्यकता होने से इसे चौंका कहते हैं। इन्दौर सहित अनेक राज्यों से आए गुरू भक्तों ने यहां चौकें लगाए हैं। इन चौकों की संख्या 360 हैं और प्रतिदिन महोत्सव के दौरान सभी संतों की आहारचर्या इन चौकों में संपन्न हो रही है। :: खुद को तपाकर कुंदन बना रहे मुनिराज महाराज :: आचार्यश्री के शिष्य न केवल पट्टाचार्य महोत्सव में शामिल हुए हैं वरन अपने गुरू द्वारा दिए गए ज्ञान को बढ़ाकर 40 डिग्री की तपन में चिलचिलाती धूप में तप कर खुद को कुंदन बना रहे हैं। श्रुसत सागर एवं विमल सागर महाराज ने सुमतिधाम की पावन धरा पर घंटो तप व साधना की। वहीं इन मुनिमहाराजों के तप और त्याग को देखकर जैन धर्मावलंबियों ने भी श्रद्धा के भाव उमड़ रहे हैं और वे चिलचिलाती धूप और तपन को भूलकर पावन योग का लाभ ले रहे हैं। सुबह शुरू हुई आहारचर्या में गुरूदेव तपती सडक़ पर नंगे पांव निकले तो उनको आहार देने वाले गुरू भक्त भी तपन की परवाह किए बिना साथ दौड़ पड़े। :: लेजर लाईट शो ने मोहा गुरू भक्तों का मन, महाआरती रही चर्चा का विषय :: लेजर लाईट शो के माध्यम से जैन अनुयायियों को उनके ही धर्म के प्रतिकों से परिचित करवाया जा रहा है। विभिन्न तरह के प्रेरक वचनों को नृत्य नाटिका के रूप में मंचित कर जैन धर्मावलंबियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। संस्कारों को ग्रहण करने की विधि के साथ लेजर लाईट शो के माध्यम से जैन तीर्थों की जानकारी भी दी जा रही है। सुमतिनाथ दिगंबर जिनालय गोधा एस्टेट, पट्टाचार्य महोत्सव समिति, गुरू भक्त परिवार एवं मनीष-सपना गोधा ने बताया कि महोत्सव के दुसरे दिन सोमवार को आचार्यश्री विशुद्ध सागर सहित 388 संतों व आर्यिकाओं के सान्निध्य में विधानाचार्य धर्मचन्द्र शास्त्री, चन्द्रकांत ईंडी, नीतिन झांझरी के निर्देशन में सुबह 5.15 पर स्तुति, देव स्तवन, आचार्य वंदना, स्वाध्याय (वात्सल्य मण्डप), अभिषेक शांतिधारा की विधियां संपन्न हुई। इसके पश्चात मंगल कलश स्थापना, ध्वजारोहण, चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन, पाद-पक्षालन, शास्त्र भेंट, पूर्वाचार्यों एवं उपस्थित आचार्यों के अध्र्य, परम पूज्य गणाचार्य श्री विराग सागर का पूजन हुआ। प्रात: 8.30 बजे आचार्यश्री विशुद्ध सागर ने प्रवचनों की अमृत वर्षा की। दोपहर 1 बजे गणधर वलय विधान की विधि संपन्न की गई। दोपहर 2.30 बजे से स्वाध्याय एवं 3 बजे से धर्मसभा को आचार्यश्री ने संबोधित किया। सांय 6.10 पर दैवसिक प्रतिक्रमण, आचार्य वंदना के साथ ही महाआरती की गई। रात्रि 8 बजे से प्रोजेक्शन मैंपिंग, 8.30 बजे लेजर शो एवं रात्रि 9 बजे से भगवान आदिनाथ की गाथा को कलाकारों ने नाटक के माध्यम से मंचित की। :: आज शास्त्र प्रदर्शनी का उद्घाटन :: गुरू भक्त परिवार ने बताया कि मंगलवार 29 अप्रैल को सुमतिधाम पर सुबह के सत्र में सभी विधियां विधानाचार्य के निर्देशन में संपन्न होगी तो वहीं दोपहर 2.30 बजे से आचार्यश्री के सान्निध्य में शास्त्र प्रदर्शनी का उद्घाटन गुरू भक्तों द्वारा किया जाएगा। वहीं रात्रि 9 बजे स्वस्ति मेहुल की भजन संध्या एवं 11 बजे प्रोजेक्शन मैपिंग का कार्यक्रम होगा। उमेश/पीएम/28 अप्रैल 2025