राष्ट्रीय
28-Apr-2025


मेजबान होने के नाते मैं उनकी मदद नहीं कर सका जम्मू (ईएमएस)। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपना पहला आधिकारिक बयान दिया। विशेष सत्र के दौरान सीएम उमर ने हमले की कड़ी निंदा कर कश्मीरियों की इंसानियत और साहस को सलाम किया। सीएम उमर ने कहा, उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम पूरा मुल्क इस त्रासदी से कांप उठा है। हम लोगों ने पहले भी अमरनाथ यात्रा, डोडा गांव, कश्मीरी पंडितों और सरदारों की बस्तियों पर हमले देखे हैं। लेकिन बीच में एक वक्त ऐसा आया था जब लगा था कि यह सब अतीत बन चुका है। उन्होंने हमले को बीते 21 वर्षों में सबसे बड़ा सिविलियन हमला करार देकर कहा कि हमें लगा था, अब ये कहानियां सिर्फ अतीत का हिस्सा हैं, लेकिन बैसरन में हुई घटना ने फिर से डर का माहौल पैदा कर दिया। उमर अब्दुल्ला ने इस दौरान बेहद भावुक लहजे में कहा कि, मुख्यमंत्री होने के नाते मैंने इन पर्यटकों को राज्य में आने का निमंत्रण दिया था। मेजबान होने के नाते जिम्मेदारी मेरी थी कि मैं उन्हें सही सलामत वापस भेजूं। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सका। मेरे पास उनके परिजनों से माफी मांगने के भी अल्फाज नहीं थे। उन्होंने 26 श्रद्धालुओं की श्रद्धांजलि सभा के दौरान खुद को असहाय महसूस करने का जिक्र कर कहा कि उनके दर्द का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। उमर ने कहा कि हमले के बाद कश्मीरियों ने बिना किसी डर के घायलों की मदद की। आदिल जैसे नौजवानों ने जान की परवाह किए बिना लोगों को बचाया। होटल मालिकों ने अपने कमरे खोले। मस्जिदों में खामोशी छा गई थी, जो उस दर्द को बयां कर रही थी। मैं कश्मीरियों के जज्बे को सलाम करता हूं। उमर ने स्पष्ट किया कि इस दर्दनाक मौके पर वे न सियासत करुंगा और न ही स्टेटहुड की मांग उठाएंगे। लानत हो मुझ पर अगर मैं इस मौके को स्टेटहुड के लिए इस्तेमाल करूं। 26 जानें गंवाने का दर्द कोई राजनीतिक मौके नहीं है। उमर ने कहा कि आतंकवाद का खात्मा केवल सैन्य कार्रवाई से नहीं होगा, बल्कि लोगों के दिल जीतकर ही संभव होगा। बंदूक से हम मिलिटेंसी को कंट्रोल कर सकते हैं, खत्म नहीं। आतंक खत्म तब होगा, जब लोग हमारे साथ होंगे। और आज वह शुरुआत हो चुकी है। आशीष दुबे / 28 अप्रैल 2025