तेहरान (ईएमएस)। ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह पर हुआ भीषण धमाका मिडल ईस्ट में फिर तनाव को बढ़ा सकता है। विस्फोट में 40 लोगों की जान चली गई और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हो गए। क्या यह सिर्फ एक दुर्घटना थी, या इसके पीछे किसी साजिश का हाथ था? कुछ जानकारों का कहना है कि धमाके में मिसाइल ईंधन बनाने वाले रसायन की बड़ी खेप शामिल थी, इस इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद से जोड़ा जा रहा है। ईरानी मीडिया ने धमाके के लिए खतरनाक रसायनों के कंटेनरों को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन इन रसायनों का नाम नहीं बताया गया। हालांकि, एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों का कहना है कि यह सोडियम परक्लोरेट हो सकता है, जो मिसाइलों के लिए ठोस ईंधन बनाने में इस्तेमाल होता है। धमाके के बाद, सोशल मीडिया पर यह चर्चा हो रही है कि मोसाद का इसमें हाथ हो सकता है। हालांकि, ईरान ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने धमाके की जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, ईरान के अधिकारियों ने सैन्य सामग्री से जोड़ने से इंकार किया है, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, फरवरी और मार्च में बंदरगाह पर मिसाइल ईंधन के लिए रसायन की बड़ी खेप आई थी, जिससे ये आशंका और गहरी हो गई है कि यह हमला किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है। इस बीच, इजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत पर हवाई हमला किया, जिसमें हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया गया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने दावा किया कि इस हमले का लक्ष्य हिजबुल्लाह के ठिकाने थे, जहां सटीक मिसाइलें रखी गई थीं। हालांकि, हिजबुल्लाह ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। आशीष दुबे / 28 अप्रैल 2025