नई दिल्ली (ईएमएस)। हर रंग का हमारे मस्तिष्क और भावनाओं पर एक खास प्रभाव पड़ता है, जो हमारे मूड को अच्छी या बुरी दिशा में मोड़ सकता है। रंग मनोविज्ञान के अनुसार, लाल रंग को ऊर्जा, तीव्रता और उत्तेजना का प्रतीक माना जाता है। यह रंग प्रेरणा और जोश तो बढ़ाता है, लेकिन इसका अधिक उपयोग व्यक्ति में तनाव, क्रोध और बेचैनी की भावना भी पैदा कर सकता है। यही वजह है कि लाल रंग से भरे वातावरण में रहने वाले लोग अकसर ज्यादा तनावग्रस्त और उत्तेजित पाए जाते हैं। इसके विपरीत, नीला रंग मानसिक शांति का प्रतीक माना जाता है। यह मूड को स्थिर करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है। नीले रंग का उपयोग ऑफिस या बेडरूम में किया जाए तो यह मानसिक स्पष्टता और आराम को बढ़ाता है, साथ ही अनिद्रा की समस्या से भी राहत दिला सकता है। पीला रंग उत्साह, खुशी और रचनात्मकता से जुड़ा होता है। यह मस्तिष्क को सक्रिय करता है और नई सोच को जन्म देता है। हालांकि, इसकी अत्यधिक उपस्थिति चिंता और बेचैनी भी ला सकती है। वहीं, हरा रंग प्रकृति और संतुलन से जुड़ा है। यह आंखों को सुकून देता है और मानसिक शांति, ताजगी और स्थिरता प्रदान करता है। हरियाली से घिरा वातावरण मानसिक तनाव को कम करता है और रिश्तों में भी संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। बैंगनी रंग का प्रभाव गहरा और आध्यात्मिक होता है। यह आत्मचिंतन, रचनात्मकता और मानसिक गहराई को बढ़ावा देता है। वहीं सफेद रंग को सादगी, शुद्धता और स्पष्टता का प्रतीक माना जाता है। यह मन को हल्का और शांत करता है, लेकिन अधिक सफेद वातावरण जीवन में नीरसता और भावनात्मक दूरी ला सकता है। काला रंग अपने आप में रहस्य, शक्ति और गहराई का संकेत देता है। यह गंभीरता लाता है, लेकिन ज्यादा काले रंग का उपयोग व्यक्ति को उदास और अलग-थलग महसूस करवा सकता है। नारंगी रंग, जो लाल और पीले रंग का मेल है, ऊर्जा, गर्मजोशी और सामाजिकता को बढ़ाता है। यह उत्सव और सकारात्मकता का प्रतीक होता है और ऐसे वातावरण में रहने वाले लोग अक्सर अधिक प्रेरित और जीवंत महसूस करते हैं। इस तरह देखा जाए तो हमारे आस-पास के रंग केवल दृश्य अनुभव नहीं होते, बल्कि वे हमारे भीतर के भावनात्मक संसार को गहराई से प्रभावित करते हैं। सुदामा/ईएमएस 28 अप्रैल 2025