नई दिल्ली (ईएमएस)। भागदौड भरी जिंदगी में आज फैटी लिवर एक प्रमुख समस्या बन गई है। इसके मुख्य कारण मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और असंतुलित जीवनशैली हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह लिवर सिरोसिस, फेलियर या कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का रूप ले सकता है। हालांकि, प्राकृतिक तरीकों को अपनाकर इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। हल्दी, खासकर लाकडोंग हल्दी, इसमें बेहद असरदार साबित हो सकती है। हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन नामक तत्व लिवर के लिए रामबाण माना जाता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण लिवर की सूजन कम करते हैं और विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। यह लिवर को डिटॉक्सिफाई करता है, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और मेटाबॉलिज़्म को तेज कर लिवर पर अतिरिक्त बोझ कम करता है। इसके अलावा हल्दी वजन घटाने में भी सहायक है, जिससे फैटी लिवर की स्थिति में सुधार आता है। लिवर की सेहत के लिए लाकडोंग हल्दी को सबसे प्रभावी माना जाता है, जो मेघालय की पहाड़ियों में पाई जाती है। इसमें सामान्य हल्दी की तुलना में कर्क्यूमिन की मात्रा कहीं अधिक होती है। यदि यह उपलब्ध न हो, तो सामान्य हल्दी का भी प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन इसकी मात्रा बढ़ानी होगी और डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। हल्दी को कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे रात में हल्दी वाला दूध पीना, लाकडोंग हल्दी का काढ़ा बनाकर पीना, हल्दी और शहद का मिश्रण खाली पेट लेना या हल्दी को खाने में शामिल करना। हल्दी के नियमित और सही इस्तेमाल से न केवल फैटी लिवर से राहत मिल सकती है, बल्कि लिवर को लंबे समय तक स्वस्थ भी रखा जा सकता है। हल्दी सप्लीमेंट्स भी एक विकल्प हैं, खासकर उनके लिए जो इसका स्वाद पसंद नहीं करते। इसके साथ ही, शराब और तली-भुनी चीज़ों से दूरी बनाना, संतुलित आहार लेना और नियमित व्यायाम करना जरूरी है। योग और प्राणायाम भी लिवर की सेहत में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। सुदामा/ईएमएस 28 अप्रैल 2025