नई दिल्ली (ईएमएस)। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ईसीएमएस) के दिशा-निर्देश और पोर्टल लांच किए। इस योजना के लिए कुल बजट 22,919 करोड़ रुपये रखा गया है और इसका कार्यकाल 6 सालों का होगा (वित्त वर्ष 2025-26 से 2031-32 तक), जिसमें एक वर्ष का गेस्टेशन पीरियड भी शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की ओर से बताया गया कि इस योजना का मकसद देश में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स के निर्माण को बढ़ावा देना, बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करना और भारतीय कंपनियों को वैश्विक वैल्यू चेन से जोड़ना है। इस मौके पर मंत्री वैष्णव ने इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए सरकार की रणनीति को चरणबद्ध तरीके से समझाया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले भारत ने तैयार उत्पादों की असेंबली पर ध्यान केंद्रित किया ताकि बड़े पैमाने पर उत्पादन का आत्मविश्वास मिल सके। इसके बाद मॉड्यूल निर्माण, कंपोनेंट निर्माण और अब मटीरियल प्रोडक्शन की दिशा में प्रगति की गई है। वैष्णव ने बताया, “फिनिश्ड गुड्स के वैल्यू चेन में 80 से 85 प्रतिशत योगदान होता है। इस क्षेत्र में भारत ने अब तक ‘अद्भुत’ स्केल हासिल किया है। देश में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र ने बीते एक दशक में उल्लेखनीय प्रगति की है। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन पांच गुना बढ़ा है, जबकि निर्यात में छह गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि निर्यात का चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (सीएजीआर) 20 प्रतिशत से अधिक रही है, वहीं उत्पादन का सीएजीआर 17 प्रतिशत से ज्यादा रहा है। मंत्री वैष्णव ने कहा कि मोबाइल फोन, सर्वर, लैपटॉप और आईटी हार्डवेयर जैसे बड़े सेगमेंट्स ने जबरदस्त रफ्तार दिखी है, जिससे भारत को भविष्य में और बड़ी सफलता हासिल करने की मजबूत स्थिति में पहुंच गया है। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पोनेंट्स एंड सिस्टम्स (ईसीएमएस) योजना सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि औद्योगिक, पावर और ऑटोमोटिव सेक्टर्स को भी मजबूती देगी। उन्होंने बताया कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का एक मजबूत इकोसिस्टम अब तेजी से तैयार हो रहा है। वैष्णव ने इनोवेशन और क्वालिटी पर जोर देकर कंपनियों से अपनी खुद की डिजाइन क्षमताएं विकसित करने और सिक्स सिग्मा स्तर तक गुणवत्ता सुनिश्चित करने की अपील की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो कंपनियां तय गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरेंगी, उन्हें योजना से बाहर कर दिया जाएगा। सरकार का लक्ष्य भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता और मात्रा दोनों में प्रतिस्पर्धी बनाना है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत अब डेटा-आधारित तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उनके अनुसार, एआई कोश पर अब तक 350 डाटासेट अपलोड किए जा चुके हैं और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) द्वारा विकसित चार एआई टूल्स जल्द लांच किए जाएंगे। कार्यक्रम के दौरान एक बड़ी घोषणा हुई। भारत के पहले देशी एआई फाउंडेशनल मॉडल को बनाने के लिए ‘सर्वम एआई’ का चयन किया गया है, जिसे देश की एआई क्षमताओं के विकास में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। आशीष दुबे / 27 अप्रैल 2025