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27-Apr-2025
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नई दिल्ली(ईएमएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में आतंकियों को कड़ा संदेश दे दिया है। उन्होंने साफ कह दिया है कि इस बार कायराना हरकतें करने वालों को किसी भी हाल में छोड़ेंगे नहीं। पीएम मोदी ने कहा भारत का विकास देखकर दुश्मनों का मन कुंठित है वे कश्मीर को फलता फूलता देखना नहीं चाहते। वे नहीं चाहते कि कश्मीर के युवाओं को रोजगार मिले, यहां पर्यटन बढ़े और स्थानीय लोगों की आय में वृद्धि हो। इसके लिए कायराना हरकतें की जाती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दुनियाभर के लोगों ने संवेदना व्यक्त की है। मेरा मन बहुत दुखी है, हर भारतीय गुस्से से उबल रहा है। उन्होंने कहा कि आतंकियों ने पहलगाम में कुंठित कायरता दिखाई है। दुश्मनों को देश का विकास रास नहीं आ रहा है। आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा और उन पर बेहद कठोर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि आतंक के खिलाफ पूरी दुनिया भारत के साथ है और पहलगाम के पीड़ितों को न्याय मिलेगा। पीएम मोदी ने कहा कि आतंक के सरपरस्तों की हताशा साफ दिख रही है। उनकी कायरता नजर आ रही है। जब कश्मीर में शांति लौट रही है और स्कूल कॉलेजों के निर्माण में एक तेजी है। लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है तो दुश्मनों को यह सब रास नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा का आतंक के आका यही चाहते हैं कि कश्मीर फिर से तबाह हो और इसीलिए इतनी साजिशें की जा रही हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इस चुनौती का सामना संकल्पों को मजबूत करके करना है। मैं पीड़ित परिवारों को भरोसा देता हूं कि न्याय मिलकर रहेगा। हमले के दोषियों को कठोरतम सजा दी जाएगी। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे चंपारण सत्याग्रह का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि अप्रैल महीने में हुए इस सत्याग्रह को महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासकों द्वारा बिमार किसानों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी। यह सत्याग्रह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के लिए एक अहम पड़ाव साबित हुआ और महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को लोकप्रिय बनाने का काम किया। पीएम मोदी ने आगे बताया कि इस सत्याग्रह को लेकर देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने एक किताब लिखी थी। हर युवा को यह किताब पढ़नी चाहिए। दरअसल, उस वक्त अंग्रेजों द्वारा चंपारण के किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करवाई जाती थी, जिसमें उन्हें बहुत कम मूल्य पर नील बेचने के लिए मजबूर किया जाता था। इसके साथ ही, इन किसानों को अत्यधिक कर और शोषण का सामना करना पड़ता था। सत्याग्रह के आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा महात्मा गांधी को चंपारण में किसानों के शोषण की जानकारी मिली और उन्होंने वहां जाकर किसानों की मदद करने का निर्णय लिया। गांधी जी के नेतृत्व में इस आंदोलन की शुरुआत हुई, और किसानों के अधिकारों के लिए उन्होंने सत्याग्रह किया। गांधी जी ने सत्याग्रह के द्वारा ब्रिटिश अधिकारियों के सामने किसानों की समस्याओं को रखा। उन्होंने अहिंसा और असहमति के शांतिपूर्ण तरीकों से आंदोलन को नेतृत्व किया। गांधी जी ने किसानों की स्थिति का अध्ययन किया और अधिकारियों को यह समझाया कि वे नील की खेती करने के लिए मजबूर नहीं किए जा सकते हैं। इस सत्याग्रह का परिणाम यह हुआ कि ब्रिटिश सरकार ने चंपारण के किसानों के साथ हो रहे अन्याय को स्वीकार किया और किसानों को कुछ राहत प्रदान की। इस आंदोलन ने महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। मां के नाम पर एक पेड़ अवश्य लगाएं मासिक रेडियो कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम अभियान का जिक्र किया और कहा कि देश के हर एक नागरिको को पर्यावरण की ओर ध्यान देना चाहिए और कम से कम अपनी मां के नाम पर एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि अहमदाबाद में ही कम से कम 70 लाख पेड़ लगाए गए हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व इसरो चीफ और वैज्ञनिक के कस्तूरीरंगन को भी श्रद्धांजलि दी। शुक्रवार को उनका निधन हो गया था। उन्होंने कहा कि कस्तूरीरंगन पूरी जिंदगी देश की निस्वार्थ सेवा करते रहे। देश के निर्माण के लिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। वीरेंद्र/ईएमएस/27अप्रैल2025