क्षेत्रीय
27-Apr-2025


वाराणसी (ईएमएस)। बी.एच.यू. का कान-नाक-गला विभाग लगातार बेहतर से बेहतर कार्य कर विश्व स्तरीय उपलब्धियां हासिल कर रहा है। कान में कॉक्लियर इंप्लांट उन बच्चों के लिए एक वरदान जैसा है, जो जन्म से सुन और बोल नहीं पाते हैं। बी.एच.यू. के प्रोफ़ेसर (डॉ.) राजेश कुमार ने अभी 100 कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। वे पूर्वांचल में 100 या उससे अधिक कॉक्लियर इंप्लांट करने वाले पहले डॉक्टर हैं। प्रोफ़ेसर (डॉ.) राजेश कुमार ने बताया कि जो बच्चे जन्म से सुन नहीं सकते, उनमें बोलने का विकास नहीं हो पाता है या फिर कुछ लोग किसी कारणवश बाद में सुनने की क्षमता खो बैठते हैं। वृद्धावस्था में जिनकी सुनने की नसें सूख जाती हैं और हियरिंग ऐड लगाने के बाद भी कोई लाभ नहीं होता, उनके लिए कॉक्लियर इंप्लांट एक बेहतर विकल्प है। जो लोग ऐसी समस्या से परेशान हैं, वे बी.एच.यू. के कान-नाक-गला विभाग की ओ.पी.डी.आकर संपर्क कर सकते हैं।उन्होंने बताया कि इस समय बी एच यू के नाक, कान एवं गला विभाग में उत्तर प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ तथा नेपाल तक के मरीज इस प्रकार की समस्या को लेकर आ रहे हैं और उनका न्यूनतम खर्च पर बी एच यू इलाज कर रहा है।यद्यपि की काकलियर इम्प्लांट बी एच यू के बाहर आज भी महगा है। डॉ नरसिंह राम / 27 अप्रैल, 2025