राष्ट्रीय
27-Apr-2025
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नई दिल्ली | आज के दौर में युवा पीढ़ी तेजी से बदलती सोच और सामाजिक बदलावों के बीच रिश्तों को लेकर कई चुनौतियों का सामना कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, खासतौर पर कॉलेज और यूनिवर्सिटी के शुरुआती वर्षों में युवा जल्दबाजी में रिश्ते बनाते हैं और कई बार इन्हीं कारणों से उनका मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी प्रभावित होता है। इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए, नई दिल्ली के कुछ मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और काउंसलिंग संस्थानों ने एक साझा जागरूकता अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य युवाओं को रिश्तों के निर्माण और टूटने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में शिक्षित करना है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि 20 की उम्र के आसपास युवा अक्सर बिना सोच-विचार के रिश्तों में कदम रखते हैं और फिर उनसे जुड़ी उम्मीदों, असुरक्षाओं और झूठ की वजह से रिश्ते जल्दी टूट जाते हैं। यह स्थिति न केवल उनकी आत्म-छवि को प्रभावित करती है, बल्कि कई बार डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक विकारों की ओर भी ले जाती है। जागरूकता के मुख्य बिंदु: रिश्ते में जल्दबाजी से बचें: पहली नजर का प्यार हमेशा स्थायी नहीं होता। रिश्ते में जाने से पहले समय देना जरूरी है। खुद की पहचान बनाए रखें: किसी रिश्ते में डूबकर अपनी पसंद, दोस्त और रुचियों को न खोएं। खुलकर संवाद करें: गलतफहमियों को बढ़ावा देने के बजाय खुलकर बातचीत करें। परफेक्ट पार्टनर की उम्मीद न पालें: रिश्तों में इंसानों की गलतियों को स्वीकारना सीखें। रिश्ता टूटने को अंत नहीं समझें: हर रिश्ता जीवन का एक अनुभव है, जिससे सीखना चाहिए। युवाओं को आत्मनिर्भर और भावनात्मक रूप से सशक्त बनाने की कोशिश अभियान से जुड़े साइकोलॉजिस्ट कहते है, कि हमारा प्रयास है कि युवा रिश्तों को सिर्फ भावनात्मक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्म-सम्मान के साथ निभाएं। रिश्तों में सीमाएं तय करना, अकेले रहकर खुद को समझना और अपनी भावनाओं को व्यक्त करना जरूरी है। इस पहल के तहत युवाओं को सोशल मीडिया, कॉलेज सेमिनार, और डिजिटल कैम्पेन के जरिए खास जानकारियां दी जा रही हैं। समाज में तेजी से बदलते संबंधों के स्वरूप को देखते हुए, यह अभियान न केवल युवाओं को जागरूक बना रहा है, बल्कि रिश्तों को समझदारी से निभाने और टूटने की स्थिति में खुद को संभालने की शक्ति भी दे रहा है। हिदायत/ईएमएस 27 अप्रैल 2025