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27-Apr-2025
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- मनमानी: न मंत्री, न विधायक फिर भी बड़े-बड़े बंगलों पर कुंडलीमार कर बैठे माननीय -सांसद की पात्रता से मिले बंगले को विधायक रमाकांत भार्गव के खाली करने का इंतजार भोपाल, (ईएमएस)। वाकई मप्र अजब है गजब है। मप्र में जहां एक ओर अपात्र माननीय यानी जो न मंत्री हैं, न विधायक हैं वे बड़े-बड़े सरकारी बंगले में रह रहे हैं, वहीं प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया को 6 महीने में एक अदद सरकारी बंगला नहीं मिल पाया है। मप्र से लेकर केंद्र सरकार में बड़ी और अहम जिम्मदारी संभाल चुके 1989 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग जैन जब मप्र के 35वें मुख्य सचिव बने तो लगा था कि शासन-प्रशासन उन्हें हाथों- हाथ लेंगे। लेकिन विडंबना यह है कि जैन को पदभार संभाले 6 माह हो गए हैं, लेकिन अभी तक वे बेघर हैं। गौरतलब है कि मुख्य सचिव अनुराग जैन फिलहाल रेस्ट हाउस में रह रहे है। लंबे समय बाद मुख्य सचिव के लिए जिस बंगले को आवंटित किया गया, वह चार इमली स्थित बी-4 बंगला है। इसमें में बुधनी के विधायक रमाकांत भार्गव रह रहे है। मुख्य सचिव को यही आवास आवंटित किया गया है। सरकार ने रमाकांत भार्गव को नोटिस भेज इस बंगले को जल्द खाली करने के लिए कहा है। वहीं रमाकांत को विधायक विधानसभा पूल से दूसरा आवास आवंटित किया गया है। रमाकांत भार्गव ने अभी तक बंगला खाली नहीं किया है। -चर्चित रहा बी-4 बंगला यह वही बंगला है, जिसे 2020 में कमलनाथ की सरकार गिरते ही पूर्व मंत्री पीसी शर्मा से रातों रात खाली कराकर शिवराज सरकार ने विदिशा सांसद रमाकांत भार्गव को दे दिया था। जून 2024 में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया। इसके बावजूद रमाकांत भार्गव ने छह महीने तक बंगला खाली नहीं किया। इसके बाद वे नवंबर 2024 में बुधनी उपचुनाव में विधायक चुने गए। इस बंगले की साज-सज्जा में शासन के लाखों रुपये खर्च किये गए है। - 3 अक्टूबर को संभाला था कार्यभार 3 अक्टूबर 2024 को अनुराग जैन ने मुख्य सचिव का पद संभाला था। छह महीने बीतने के बावजूद प्रदेश का शीर्ष अफसर आज भी सरकारी निवास की प्रतीक्षा में है। यह न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी बताता है कि किस तरह सत्ता के समीकरणों में नियम-कानून ताक पर रख दिए जाते हैं। मुख्य सचिव जैसे पद के साथ इस तरह का ढुलमुल रवैया नौकरशाही में अनुशासन और व्यवस्था के लिहाज से बेहद चिंताजनक है। यह प्रशासनिक विफलता है, एक खतरनाक संदेश यह भी जा रहा है कि मुख्य सचिव को आवास आंवटित होने के बाद भी सरकार बंग्ले को खाली नहीं करा पाई। वहीं मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के बीच समन्वय को लेकर मंत्रालय में चर्चा का विषय बना हुआ है। - नहीं मिल रहा फ्री हैंड अनुराग जैन मप्र एवं केन्द्र में अपनी कर्तव्य निष्ठा के रुप में उनकी पहचान है। उन्होंने केन्द्र में पीएमओ, परिवहन मंत्रालय एवं अन्य विभागों में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वाह किया है। मप्र के मुख्य सचिव के रुप में जो आशा की जा रही थी, उसके अनुसार उन्हें शायद फ्री हैंड नहीं मिला है। जिसकी चर्चा मंत्रालय में होने लगी है। जिसका असर शासन और प्रशासन में देखने को मिला रहा है। - पात्रता नहीं होने के बावजूद सरकारी बंगले पर काबिज प्रदेश के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, रामपाल सिंह चुनाव हार चुके हैं, लेकिन डेढ़ साल से सरकारी बंगले पर काबिज हैं। वही पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह भी बिना मंत्री पद के बड़े आवास में रह रहे हैं। भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भी सरकारी आवास खाली नहीं किया है।