नई दिल्ली (ईएमएस)। राष्ट्रीय राजधानी में यमुना की खस्ताहालत के लिए प्रदूषण ही नहीं बल्कि पानी का कम बहाव भी एक बड़ा कारण है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की ओर से तैयार रिपोर्ट के मुताबिक, नदी में न्यूनतम प्रवाह के लिए जरूरी पानी का आधा हिस्सा भी नहीं है। अगर प्रवाह निर्बाध हो तो नदी में मौजूद कचरा भी अपने आप छंट जाता है। दिल्ली के बड़े नालों से सीधे यमुना में गिरने वाले गंदे पानी की वजह से प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि नदी का जलीय जीवन लगभग नष्ट हो चुका है। डीपीसीसी की रिपोर्ट में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की के हवाले से बताया गया है कि हथिनी कुंड बैराज और ओखला बैराज के बीच मई जैसे सूखे महीने में भी पर्यावरणीय प्रवाह 190 एमजीडी रहता है। जबकि नदी के न्यूनतम प्रवाह के लिए जरूरी है कि नदी में कम से कम 437 एमजीडी पानी हो। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यमुना को 247 एमजीडी पानी और मिल जाए तो बीओडी (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर 25 से घटकर 12 मिलीग्राम प्रति लीटर रह सकता है। अजीत झा/ देवेन्द्र/ नई दिल्ली /ईएमएस/26/अप्रैल /2025