- 90 प्रतिशत पराली से जुड़ी, भोपाल संभाग टॉप पर भोपाल (ईएमएस)। गेहूं उत्पादन में मध्य प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है, लेकिन फसल की कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने में मध्य प्रदेश टॉप पर है। यह बहुत चिंता की बात है। मध्य प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल से 24 अप्रैल 2025 के बीच प्रदेश में आग की 83,659 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इनमें से 90 प्रतिशत पराली जलाने के मामले हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा आग की घटनों में भोपाल संभाग 20 हजार से ज्यादा मामलों के साथ टॉप पर है। यहां पर भी रायसेन जिला और विदिशा जिले में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगाने के साथ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिलों में कलेक्टर जुर्माना के साथ ही एफआईआर तक की कार्रवाई कर रहे है। इसके बावजूद पराली जलाने के मामले कम नहीं हो रहे है, जिसका सीधा असर वायु गुणवत्ता पर पड़ रहा है। जुर्माना और एफआईआर की कार्रवाई इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न जिलों में निगरानी और कार्रवाई की प्रक्रिया तेज कर दी है। जिला प्रशासन, पर्यावरण विभाग की संयुक्त टीमें लगातार क्षेत्र भ्रमण कर रही हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि पराली जलाने की जगह वैकल्पिक उपाय जैसे कि मल्चर मशीन, कंपोस्टिंग, और खेत में अवशेष दबाने जैसी तकनीकें अपनाई जानी चाहिए। प्रशासन द्वारा भी किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान शुरू किए गए हैं। साथ ही प्रशासन लाउड स्पीकर से जागरूकता अभियान भी चला रहा है। संभागवार आग की घटनाओं के प्रमुख आंकड़े (1 अप्रैल से 24 अप्रैल 2025 तक) भोपाल संभाग- 20,833 जबलपुर संभाग - 13,448 सागर संभाग - 10,529 मामले उज्जैन संभाग - 8,694 मामले ग्वालियर संभाग - 8,648 मामले इंदौर संभाग - 7,072 मामले होशंगाबाद संभाग - 5,133 मामले रीवा संभाग - 3,967 मामले शहडोल संभाग - 3,270 मामले चंबल संभाग - 2,065 मामले विनोद / 26 अप्रैल 25