इन्दौर (ईएमएस) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने बगैर विभागीय जांच के एक हेड कांस्टेबल को सेवा से बर्खास्त करने के आईजी और डीजीपी के आदेश को निरस्त कर दिया। एक सरकारी वाहन चोरी के आरोप में हेड कांस्टेबल बृजेशकुमार शर्मा को बगैर विभागीय जांच कार्रवाई करते सेवा से बर्खास्त किया गया था। हेड कांस्टेबल बृजेशकुमार शर्मा ने इस आदेश के खिलाफ डीजीपी के समक्ष अपील की थी जो कि खारिज हो गई जिसके बाद हेड कांस्टेबल बृजेश कुमार ने एडवोकेट प्रद्युम्न किबे के जरिए हाईकोर्ट इंदौर में याचिका दायर की। कोर्ट ने शासन व सभी पक्ष सुनने के बाद उक्त आदेश दिए। प्रकरण कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि हेड कांस्टेबल बृजेश कुमार वर्ष 1998 में पुलिस सेवा में भर्ती हुआ था। उस पर एक सरकारी वाहन बोलेरो की चोरी के आरोप में उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसी आरोप में 21 दिसंबर 2017 को आईजी ने आदेश जारी कर उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया। जिसके खिलाफ उसने डीजीपी के समक्ष अपील की जो कि 2018 में खारिज हो गई। उसके बाद प्रकरण में हाइकोर्ट में याचिका दायर करते बताया कि पुलिस रेग्युलेशन के अनुसार बिना कोई विभागीय जांच कराए उसे सेवा से हटा दिया गया जो नियम विरुद्ध है। इसमे उसको अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया। कोर्ट को यह भी बताया गया कि वाहन चोरी के इसी केस में याचिकाकर्ता वर्ष 2024 में ट्रायल कोर्ट से बरी भी हो गया। सभी के तर्क सुनने के बाद हाई कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए बिना विभागीय जांच के सेवा से बर्खास्त करने के आईजी एवं डीजीपी दोनों के आदेश को निरस्त कर विभाग को यह स्वतंत्रता दी है कि कानून के मुताबिक वह चाहे तो विभागीय जांच कंडक्ट कर सकते है। आनन्द पुरोहित/ 26 अप्रैल 2025