25-Apr-2025


इसे वापस लिया जाए, किसान संगठनो की मांग भोपाल (ईएमएस)। हाल ही में राजस्व विभाग की समीक्षा मीटिंग में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने निर्देश दिया है कि पराली जलाने पर किसानों की सम्मान निधि और एमएसपी पर गेहूं, सोयाबीन, धान आदि की फसल खरीदी रोक दी जाएगी। इस तरह का यह निर्देश दिया जाना पूरी तरह से अनुचित, अमानवीय और अवैधानिक है। अखबारों में जिस तरह की खबर प्रकाशित हुई है उसमें परली और नरवाई को एक ही श्रेणी में रखा गया है यह ही बता देता है कि मुख्यमंत्री और उनकी सरकार का खेती ज्ञान कितना सीमित है। नरवाई गेहूं काटने के बाद बचा हुआ गेहूं के पौधे का शेष हिस्सा है जो भूसा बनाने के काम आता है और बाजार में आज भूसे की कीमत₹1000 प्रति क्विंटल है। उसको कोई किसान आमतौर पर नहीं जलता है। पराली धान का अतिशेष नीचे का भाग होता है जो धान काटने के बाद बचता है। उसे कई बार किसान खेत में जला देते हैं परन्तु मध्य प्रदेश में धान की पैदावार कम है और ऊपर से आमतौर पर पराली जलाने का काम किसान नहीं करते हैं। बल्कि उसे खेत में मिलाकर खाद के रूप में उपयोग करते हैं। इस दशा में कुछ अपवाद स्वरूप घटनाओं को मानकर इस तरह के निर्देश देना जिसमें किसानों को थोड़ी बहुत राहत प्रशासन की तरफ से मिलती है उसे भी बंद किया जाएगा। यह मुख्यमंत्री का निर्देश पूरी तरह से अवैध है । अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बादल सरोज. मप्र किसान सभा (शाकिर सदन ) के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रहलाद वैरागी, किसान जाग्रति संगठन के प्रमुख इरफ़ान जाफरी किसान सभा (बीटीआर भवन) के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तिवारी महासचिव अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री के इस तरह के निर्देश की कड़ी निंदा की है और इसे वापस लेने का मुख्यमंत्री से आग्रह किया है। इस संबंध में किसान संगठनों की ओर से एक पत्र भी मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा । किसान नेताओं ने कहा है कि मध्य प्रदेश में किसानों को समय पर पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिलता है और सरसों, सोयाबीन, गेहूं ,बाजरा, धान कोई भी फसल एमएसपी पर आमतौर पर नहीं बिक पाती है। उसको सुनिश्चित करने के बजाय इस तरह के निर्देश देना पूरी तरह अनुचित है। उन्हें तत्काल वापिस लिया जाए , वापस नहीं लेने पर किसान पराली और नरवाई तो नहीं जलाते और न ही जलाएंगे। लेकिन इस निर्देश की प्रतियां जरूर जलाएंगे। आगामी दिनों में संयुक्त किसान मोर्चे की राज्य स्तरीय मीटिंग में इस संबंध में विस्तार से चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। उसमें प्रदेश में किसानों स्थिति और समस्याओं को लेकर आगामी रणनीति विनिश्चित की जाएगी। हरि प्रसाद पाल / 25 अप्रैल, 2025