नई दिल्ली (ईएमएस)। भारतीय नौसेना का गौरव और आत्मनिर्भर भारत की असली पहचान आईएनएस विक्रांत अब न केवल समुद्री शक्ति का प्रतीक है, बल्कि भारत की रणनीतिक सुरक्षा में एक निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है। यह स्वदेशी विमानवाहक पोत अब पूरी तरह से परिचालनात्मक है और अपने दम पर एक पूरे युद्ध समूह का नेतृत्व करने में सक्षम है। आईएनएस विक्रांत की वे विशेषताएं जो इस अपराजेय बनाती हैं| सबसे पहली विशेषता यह कि इसका निर्माण कोचिन शिपयार्ड द्वारा स्वदेशी तकनीक से किया गया है| आईएनएस विक्रांत की लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई: 59 मीटर है। कुल वजन 45,000 टन के करीब है। इसकी गति 28 समुद्री मील (लगभग 52 किमी/घंटा) है। इसकी रेंज 7500 समुद्री मील (करीब 13,800 किमी) है। विक्रांत की मारक क्षमता ये हैं कि ये एक चलता-फिरता एयरबेस है। मिसाइल सिस्टम: 64 बराक-8 मिसाइलें (एयर डिफेंस) ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइलें (एंटी-शिप और लैंड अटैक) रडार और सेंसर: सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैनिंग एरे रडार, अत्याधुनिक कम्युनिकेशन और ट्रैकिंग सिस्टम तकनीकी ताकत: इंजन और ऊर्जा ऑपरेशन: आधुनिक ऑटोमेशन और फ्लाइट कंट्रोल टावर आईएनएस विक्रांत अब भारतीय नौसेना की कैरियर बैटल ग्रुप का नेतृत्व करता है। इसकी तैनाती अरब से लेकर हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) तक शत्रु की गतिविधियों पर नजर रखने और युद्ध की स्थिति में निर्णायक हमला करने की क्षमता प्रदान करती है। यह पोत न केवल युद्ध में सक्षम है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं में राहत अभियान, शांति स्थापना मिशन और समुद्री डकैती जैसी गतिविधियों पर नियंत्रण में भी इसका बड़ा योगदान है। आशीष दुबे / 25 अप्रैल 2025