जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 से ज्यादा पर्यटकों की हत्या कर दी। कई गंभीर रुप से घायल पर्यटकों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है। जिन पर्यटकों का निधन हुआ था उनके शव देश भर के विभिन्न राज्यों में भेजे गए हैं। जहां पर उनका अंतिम संस्कार हो रहा है। घटना के दो से तीन दिन बाद तक मारे गए पर्यटकों का अंतिम संस्कार विभिन्न स्थानों पर हो रहे थे। इस बीच केंद्र सरकार, राज्य सरकार के मंत्री और भाजपा के नेता अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंचे वहां पर जनता का आक्रोश खुलकर देखने को मिला। गुजरात के शैलेश कलथिया की अंत्येष्टि में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री एस आर पाटिल पहुंचे थे। वहां पर उन्हें मृतक की पत्नी के गुस्से का सामना करना पड़ा। जिस तरह का आक्रोश उसने दिखाया है, उसको देखते हुए केंद्रीय मंत्री अवाक होकर रह गए। स्थानीय लोगों का गुस्सा इस बात पर भी भड़क गया, कि फोटो खिंचवाने के लिए केंद्रीय मंत्री पहुंच रहे थे, जिसके कारण 15 मिनट तक अर्थी को सड़क पर रखना पड़ा। राजस्थान और हरियाणा में भी जब मुख्यमंत्री मृतकों को श्रद्धांजलि देने अंत्येष्टि में पहुंचे तो वहां पर भी उन्हें काफी आक्रोश का सामना करना पड़ा। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री सैनी जी को लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ा है। पहलगाम की घटना में विभिन्न राज्यों के पर्यटकों की मौत हुई है। लगभग सभी स्थानों में जनता की ओर से गुस्से में कहा जा रहा कि यह सरकार का फेलियर है। लाखों जवान जम्मू कश्मीर में तैनात है, उसके बाद भी पर्यटक सुरक्षित नहीं हैं। जिस स्थान पर घटना हुई है वहां एक भी सुरक्षा कर्मी और पुलिसकर्मी उपस्थित नहीं थे। गुजरात की शीतल बैन ने यहां तक कह दिया- जनता के टैक्स के पैसे से नेता हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर पर चलते हैं। उनकी सिक्योरिटी में गाड़ियों के काफिले चलते हैं। टैक्स देने वालों की क्या कोई जिंदगी नहीं है। पिछले कई वर्षों से हिंदू-मुसलमान को लेकर भारत में जो शंखनाद हो रहा है। वह चरम पर पहुंचकर अब उसकी गूंज धीरे-धीरे धीमी पड़ती जा रही है। इस बात को भाजपा और संघ को समझना होगा। जहां डबल इंजन की सरकार है उन्हें भी समझना होगा युद्ध के ढोल नगाड़े और शंखनाद कुछ समय के लिए ही प्रभावी साबित होते हैं। यह लोगों में आक्रोश पैदा करते हैं लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, उसके बाद इनका कोई महत्व नहीं रह जाता है। अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद तथा पहलगाम की जो घटना अभी हाल ही में हुई है, उससे भारतीय जनता पार्टी और डबल इंजन की सरकारों को सबक लेने की जरूरत है। हिंदू-मुसलमान के नाम पर गोदी मीडिया ने एक नेरेटिव चलाने का प्रयास किया था लेकिन देशभर में उसका कोई असर देखने को नहीं मिला। जम्मू-कश्मीर में पहुंच बंद रखा गया। वहां के लोग आतंकवादी घटना के खिलाफ सड़कों पर आ गए। यही स्थिति देश के विभिन्न राज्यों में देखने को मिली। सभी राजनीतिक दलों ने भी इस घटना की निंदा करते हुए घटना को सांप्रदायिक रंग में रंगने नहीं दिया है। देश की जनता ने भी अपनी-अपनी जगह पर घटना का विरोध करते हुए अपना आक्रोश व्यक्त किया है। गोदी मीडिया के खिलाफ भी अब लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोगों की यह धारणा बनने लगी है कि गोदी मीडिया तथ्यों को छुपाता है। हिंदू-मुसलमान के बीच अलगाव पैदा करने के लिए संयोजित रूप से नेरेटिव बनाता है। पहलगाम में हुई घटना की जिस तरह से नेशनल मीडिया ने कवरेज की है। उस पर भी जनता ने अपना आक्रोश खुलकर व्यक्त किया है। कुछ महीनों बाद बिहार के चुनाव हैं। जब भी कहीं चुनाव होते हैं उसके पहले इस तरीके की घटनाएं पिछले कई बार देखने को मिली हैं, उसके कारण अब जनता इन पर भरोसा और विश्वास नहीं कर पा रही है। जनता को भी लगने लगा है कि इस तरह की घटनाएं चुनावी रणनीति के तहत जानबूझकर कराई जाती हैं। पहलगाम में हुई घटना के बाद जिस तरह से मुसलमानों ने बढ़-चढ़कर इस घटना का विरोध किया उसने आसमाजिक और सांप्रदायिक तत्वों को स्तब्ध कर दिया है। जो सवाल विभिन्न राजनीतिक दल के नेता सरकार से करते थे अब उसी तरह के सवाल-जवाब जनता की ओर से होने लगे हैं। जनता का आक्रोश भी अब समय-समय पर देखने को मिलने लगा है। वर्तमान परिस्थितियों में सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी जिस तरह से देश में बेरोजगारी महंगाई और अन्य समस्याएं हैं। लोगों का दैनिक जीवन मुश्किल भरा हो गया है। ऐसी स्थिति में अब सांप्रदायिकता का मलहम ज्यादा दिनों तक काम नहीं आएगा। समाज के सभी वर्गों का आक्रोश अब सामने दिखने लगा है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जो हालात 1975 में महंगाई, बेरोजगारी के कारण बने थे, उसने सारे देश में युवाओं और सभी वर्गों को उद्वेलित कर दिया। 1975 में देश भर में आंदोलन हुए जिसके कारण आंतरिक कानून व्यवस्था खराब स्थिति में पहुंच गई थी जो बाद में आपातकाल का कारण बनी। लगभग वही स्थितियां अब दिखने लगी हैं। विशेष रूप से युवाओं में सरकार के प्रति नाराजी देखने को मिल रही है। समय रहते इस पर नियंत्रण की जरूरत है। एसजे/ 25 अप्रैल /2025