-इजराइली पीएम ने मोदी को फोन कर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता जताई नई दिल्ली,(ईएमएस)। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान आमने सामने आ गए हैं। 28 पर्यटकों की मौत के बाद पूरे देश में गुस्सा है। इस गुस्से को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बिहार से बड़ा ऐलान किया। पीएम ने साफ कहा है कि इस हमले में शामिल शख्स धरती के किसी भी कोने में चला जाए, बचेगा नहीं। इस ऐलान के कुछ ही घंटे बाद इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम मोदी को फोन कर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता व्यक्त की। इस फोन कोल के बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या भारत पाकिस्तान के खिलाफ गाजा जैसी आक्रामक सैन्य कार्रवाई कर सकता है? बता दें भारत ने पहले भी पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के जवाब में सीमित सैन्य कार्रवाई की है, जैसे 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 का बालाकोट हवाई हमला। युद्ध से बचने के लिए भारत के पास ये सबसे बड़ा विकल्प है। भारत गाजा जैसी रणनीति पीओके में करे क्योंकि बड़े पैमाने पर बमबारी और जमीनी अभियान शामिल होने से जानमाल की हानि काफी हो सकती है। भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियारों से लैस हैं। कोई भी आक्रामक सैन्य कार्रवाई तनाव को बढ़ा सकती है, जिससे परमाणु टकराव का खतरा पैदा हो सकता है। इस लिहाज से युद्ध होने की संभावना बहुत कम है। गाजा एक छोटा और घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जबकि पाकिस्तान एक बड़ा और विविध भौगोलिक और सैन्य शक्ति वाला देश है। गाजा जैसी नाकाबंदी या निरंतर बमबारी करना पाकिस्तान में असंभव है, लेकिन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में यह कुछ हद तक संभव है। भारत एक जिम्मेदार अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के रूप में अपनी छवि बनाए रखना चाहता है। गाजा जैसी कार्रवाई से मानवीय संकट और वैश्विक आलोचना का सामना करना पड़ सकता है, जैसा कि इजराइल के पीएम को आईसीसी अरेस्ट वारंट जारी किया गया है। इसके बजाय, भारत सीमित, सटीक सैन्य कार्रवाइयों पर ध्यान दे सकता है, जैसे आतंकी ठिकानों पर ड्रोन हमले या विशेष बलों के ऑपरेशन। भारत गाजा मॉडल के कुछ गैर-सैन्य पहलुओं को अपना सकता है, जैसे कूटनीतिक अलगाव से भारत पहले से ही संयुक्त राष्ट्र और जैसे मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। पहलगाम हमले के बाद यह प्रयास तेज हो सकता है। भारत ने सिंधु संधि को रद्द करने और अटारी सीमा को बंद करने जैसे कदम उठाए हैं। ये कदम पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव डाल सकते हैं, हालांकि गाजा जैसी पूर्ण नाकाबंदी संभव नहीं। पहलगाम हमला भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए झटका है। सरकार की प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ाने और आतंकी घुसपैठ को रोकने की है। गाजा जैसी आक्रामक बाहरी कार्रवाई की तुलना में भारत का ध्यान आंतरिक स्थिरता और खुफिया नेटवर्क को मजबूत करने पर ज्यादा रहेगा। पाकिस्तान किसी भी सैन्य कार्रवाई का जवाब दे सकता है, जिससे सीमा पर तनाव बढ़ सकता है। पाकिस्तान का करीबी चीन भारत की किसी भी आक्रामक कार्रवाई का विरोध कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय जटिलताएं बढ़ेंगी। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन वे पूर्ण युद्ध का समर्थन नहीं करेंगे। गाजा जैसी रणनीति से नागरिक हताहतों की संख्या बढ़ सकती है, जो भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा सकती है। भारत की रणनीति आतंकवाद के खिलाफ कठोर लेकिन जिम्मेदार कार्रवाई पर केंद्रित रहेगी, जो क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक छवि को ध्यान में रखेगी। सिराज/ईएमएस 25अप्रैल25