पहलगाम की घटित घिनौनी घटना जहां पहली बार जाति धर्म की आड़ में पर्यटन के लिए गये निर्दोषों पर आक्रमण हुआ जिसमें चली गोली से कई की घटना स्थल पर हीं मृत्यु हो गई, कई गंभीर हालत में घायल हो गये जिन्हें अस्पताल तत्काल पहुंचाया गया है। इस घटना को लेकर पूरा देश चिंतित है,आक्रोशित है। पक्ष विपक्ष आज की स्थिति में एक मंच पर खड़ा है, उचित कार्रवाई के लिए सरकार के साथ है। इस तरह के हालात देशहित में है। केंद्र सरकार भी इस तरह की घटना को लेकर गंभीर एवं सजग है। आतंकवाद को बढ़ावा देने एवं आतंकवादियों को संरक्षण देने वाले पड़ोसी राष्ट्र पाक से सभी राजनैयिक, सामाजिक संबंध पर तत्काल रोक लगाकर भारत सरकार द्वारा उसे चेतावनी फिलहाल दे दी गई है। पाक में फिलहाल हलचल है। भारत पाक के आपसी संबंध इस घटना को लेकर काफी बिगड़ चुके है। देश में आतंकवाद की घटनाएं लगातार कई वर्षो से घटित हो रही है। आतंकवाद मचाने वाले आतंकवादियों की न तो कोई जाति होती है, न कोई धर्म पर पहलगाम की आतंकवादी कार्रवाई में पहली बार ऐसी घटनाक्रम ने जन्म लिया जहां जाति धर्म पूछ पूछ कर निर्दोष पर अंधाधुंध गोली चलाई गई। जहां एक नई खतरनाक साजिश की बू आ रही है। जिसकी लपेट में भारत पाक संबंध में तनाव आने के साथ- साथ देश में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की संभावनाएं ज्यादा प्रबल नजर आ रही है। देश में इन दिनों हिन्दुत्व को लेकर एक नया माहौल भी उभरता नजर आ रहा है जहां देश के संत समाज तेजी से भारत को हिन्दुत्व राष्ट्र बनाये जाने की मांग करने लगा है। कुछ प्रवचक अपने धार्मिक प्रवचन, सत्संग में इस मुद्दे पर ज्यादा हीं जोर देने लगे है। ऐसे माहौल को राजनीतिक हवा भी मिलने लगी है। जो भारत के साम्प्रदायिक सद्भाव पर चोट कर सकते है। संत समाज को प्रवचन से राजनीतिक प्रसंग को दूर रखना देशहित में ज्यादा बेहतर हो सकता है। जिस देश की संस्कृति में सद्भाव की गंगा बहती हो जिसके संविधान में सभी धर्मो का सम्मान समाहित हो, जिसके राष्ट्र गीत में सभी के प्रति समादर समाहित हो वहां हिन्दुत्व राष्ट्र की बात करना कितना उचित होगा, विचारणीय है। कहीं इस तरह के उभरे हालात की आड़ में पहलगाम की घटना को अंजाम दिया गया हो, जिसके पीछे साजिशकर्ताओं की भारत की एकता को तोड़ने की खतरनाक साजिश समाहित हो। पहलगाम की घटित घटना पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की जरूरत है। कहीं जल्दबाजी में लिया गया निर्णय साजिशकर्ताओं की सोच को सकरात्मक रुप न दें, इस पहलू पर पैनी नजर से विचार विमर्श कर उचित निर्णय लिए जाने की जरूरत है जो देश की एकता, आपसी सामंजस्य, सद्भाव बनाए रखने में मददगार साबित होकर साजिशकर्ता की साजिश को नेस्तनाबूद कर दे । (स्वतंत्र पत्रकार) ईएमएस / 25 अप्रैल 25