25-Apr-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। एक अंतरराष्ट्रीय शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि गांजे (मारिजुआना) का सेवन करने वाले लोगों में अगले पांच वर्षों के भीतर डिमेंशिया (याददाश्त से जुड़ी बीमारी) होने का खतरा 23 प्रतिशत अधिक होता है। इस अध्ययन में 60 लाख से अधिक लोगों के डेटा तैयार किया गया, जिसमें पाया गया कि जिन लोगों को गांजे के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उसमें डिमेंशिया का जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में कहीं अधिक था। मनोविश्लेषक के अनुसार, डिमेंशिया कोई एक बीमारी नहीं, बल्कि ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की याददाश्त, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। यह स्थिति सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन दोनों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में गांजे की पोटेंसी (नशे की तीव्रता) काफी बढ़ गई है। गांजे में मौजूद रसायन टीएचसी की मात्रा अब पहले की तुलना में कहीं ज्यादा हो गई है, जो शरीर और दिमाग दोनों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके कारण दिल की धड़कन तेज होना, घबराहट, स्ट्रोक, मांसपेशियों की सूजन जैसी गंभीर समस्याएं देखी गई हैं। रिसर्च के अनुसार, 45 से 64 वर्ष की उम्र वाले लोगों में गांजे के कारण अस्पताल जाने के मामले 5 गुना बढ़े हैं, जबकि 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों में यह संख्या 27 गुना तक पहुंच गई है। भारत में बढ़ती चिंता हालांकि भारत में गांजे का सेवन गैरकानूनी है, फिर भी पारंपरिक और सांस्कृतिक उपयोग के नाम पर इसका सेवन कुछ राज्यों में होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि गांजे का सेवन मनोरंजन या चिकित्सा, किसी भी कारण से किया जाए, इसकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। विशेष रूप से वे लोग जिन्हें पहले से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं, उन्हें गांजे से दूर रहना चाहिए। आशीष/ईएमएस 25 अप्रैल 2025