मुंबई (ईएमएस)। साल 1985 में समाज और राजनीति में भूचाल लाने वाले बेहद अहम शाहबानों केस पर आधारित एक फीचर फिल्म बनने जा रही है, जो इस गूंज को नए सिरे से और बड़े पर्दे पर लेकर आएगी। खबरों के मुताबिक, इस फिल्म का निर्देशन सुपर्ण वर्मा कर रहे हैं और इसमें यामी गौतम व इमरान हाशमी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म की शूटिंग हाल ही में लखनऊ में पूरी हुई है। सूत्रों के अनुसार यह फिल्म यामी गौतम की आर्टिकल 370 के बाद उनकी अगली बड़ी रिलीज़ मानी जा रही है। यह फिल्म सिर्फ एक कानूनी लड़ाई की कहानी नहीं है, बल्कि उस इंसानी जज़्बे की भी दास्तान है जो न्याय के लिए हर दीवार तोड़ देने को तैयार रहता है। 1978 में, 62 वर्षीय शाह बानो ने अपने पति द्वारा दिए गए तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुज़ारा भत्ते की मांग की थी। उनके पति मोहम्मद अहमद खान, जो पेशे से वकील थे, ने मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला देते हुए भत्ता देने से इनकार कर दिया। लेकिन सात साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 सभी नागरिकों पर लागू होती है। इस फैसले को महिला अधिकारों और संवैधानिक समानता की दिशा में एक मील का पत्थर माना गया। हालांकि, यह फैसला मुस्लिम कट्टरपंथियों को नागवार गुज़रा और भारी राजनीतिक दबाव में आकर राजीव गांधी सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला (विवाह विच्छेद पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम पारित कर दिया, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला लगभग निष्क्रिय हो गया। आज, 40 साल बाद, यह कहानी एक बार फिर चर्चा में है। अब वह आवाज़, जो कभी सुप्रीम कोर्ट में गूंजी थी, सिनेमा के ज़रिए नए दौर की चेतना बनकर उभरेगी। फिल्म के ज़रिए यह मुकदमा सिर्फ अतीत की याद नहीं रहेगा, बल्कि एक बार फिर समानता और इंसाफ की बहस को आगे बढ़ाएगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 1985 में मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसने न केवल न्यायिक गलियारों में बहस छेड़ी, बल्कि समाज और राजनीति में भी भूचाल ला दिया था। सुदामा/ईएमएस 25 अप्रैल 2025