राज्य
24-Apr-2025
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प्रज्ञा को दी जाए मौत की सजा -प्रज्ञा ठाकुर पर धमाके की साजिश रचने के आरोप, 8 मई को आएगा फैसला भोपाल (ईएमएस)। साल 2008 के मालेगांव बम धमाके के आरोपों से घिरी भोपाल से भाजपा की सांसद रहीं प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सात आरोपियों को एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने मौत की सजा देने की मांग कोर्ट से की है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मुंबई के स्पेशल कोर्ट से 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 16 के तहत मौत की सजा देने का अनुरोध किया है। एनआईए ने आखिरी दलील दायर की 17 साल पुराने बम धमाके में छह मुस्लिम मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए। मामले की दलीलें पूरी होने के बाद एनआईए की आखिरी लिखित दलील दायर की है। एनआईए द्वारा दायर की गई इस दलील में डेढ़ हजार से ज्यादा पेज हैं। हालांकि, कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जज एके लाहोटी 8 मई को अपना फैसला सुनाएंगे। मामले में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी, स्वामी दयानंद पांडे और सुधाकर चतुर्वेदी पर हिंदुत्व विचारधारा से जुड़ी एक व्यापक साजिश के तहत विस्फोट की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है। 323 गवाहों में से 32 ने बदल दिए थे बयान एनआईए ने पहले साध्वी प्रज्ञा को बरी कराने का प्रयास किया था जिसमें एनआईए की ओर से कहा गया था कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने अब अपना रुख बदल दिया है। एनआईए ने अदालत से किसी भी तरह की नरमी न बरतने का आग्रह किया है। जबकि 323 गवाहों में से 32 ने कथित तौर पर दबाव में आकर अपने बयान वापस ले लिए। एनआईए ने अपने नए सबमिशन में तर्क दिया कि बहिष्कृत गवाहों को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है। उनके देर से मुकरने से आरोपियों को कोई लाभ नहीं होना चाहिए। आरोपियों को मौत की सजा दी जाए जमीयत उलेमा महाराष्ट्र के लीगल सेल के वकील शाहिद नदीम ने कहा कि एजेंसी ने यूएपीए की धारा 16 का हवाला देते हुए आरोपियों के लिए सख्त सजा की अपील की है। अगर किसी आतंकवादी गतिविधि के परिणामस्वरूप मौत होती है तो दोषी को मौत की सजा दी जा सकती है। जमीयत के सीनियर वकील शरीफ शेख ने भी साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ सबूतों की गंभीरता को दोहराते हुए कहा कि उन्होंने साजिश की बैठकों में हिस्सा लिया और उनकी मोटरसाइकिल एलएमएल फ्रीडम का इस्तेमाल बम लगाने के लिए किया गया। यह अकेले ही उनकी स्पष्ट संलिप्तता को दर्शाता है। सितंबर 2008 में हुआ था मालेगांव विस्फोट सितंबर, 2008 का मालेगांव विस्फोट उन पहली आतंकी घटनाओं में से एक था, जिसमें दक्षिणपंथी हिंदुत्व समूहों को संदिग्ध के तौर पर नामित किया गया था। महाराष्ट्र एटीएस की शुरुआती जांच में साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी माना गया था, लेकिन बाद में एनआईए ने उनसे पूछताछ करने में आनाकानी की, जिससे सवाल उठने लगे।