* ऑर्गेनिक खेती तथा प्राकृतिक खेती दोनों बिलकुल अलग हैः किसानों को उचित मार्गदर्शन देना जरूरी गांधीनगर (ईएमएस)| राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा है कि आज ग्लोबल वॉर्मिंग विश्व की सबसे बड़ी समस्या बनी है। हाल में बढ़ती जा रही बीमारियों के बीच शुद्ध भोजन, शुद्ध हवा तथा शुद्ध पानी हमारी जरूरत बने हैं। लोगों का स्वास्थ्य एवं प्रकृति की रक्षा करने का एकमात्र उपाय है प्राकृतिक कृषि। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के आग्रह से राज्य के सभी जिला कलेक्टरों तथा जिला विकास अधिकारियों को गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राकृतिक फार्म की मुलाकात पर ले जाया गया था, जिसके फलस्वरूप राज्य में प्राकृतिक कृषि अभियान तेजी से आगे बढ़ा है। राज्य में प्राकृतिक कृषि का दायरा बढ़ाने के लिए राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी की अध्यक्षता में तथा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल एवं कृषि मंत्री राघवजीभाई पटेल की उपस्थिति में बुधवार को राज्य के सभी महानगर पालिका आयुक्तों, जिला कलेक्टरों तथा जिला विकास अधिकारियों की सीएम डैशबोर्ड के माध्यम से वर्चुअल बैठक आयोजित हुई। इस अवसर पर जैविक ऑर्गेनिक खेती तथा प्राकृतिक खेती दोनों के बिलकुल भिन्न होने का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ऑर्गेनिक खेती में खर्च कम नहीं होता, मेहनत कम नहीं होती और उत्पादन भी नहीं बढ़ता है, जबकि प्राकृतिक खेती में कम खर्च से अधिक उत्पादन हासिल किया जा सकता है और स्वास्थ्यप्रद उत्पादन मिलता है। हाल ही में गुजरात के चार कृषि विश्वविद्यालयों में से जूनागढ, आणंद एवं दांतीवाडा कृषि विश्वविद्यालयों की रिपोर्ट में साबित हुआ है कि यदि प्राकृतिक कृषि पाँच आयामों के साथ की जाए, तो पहले वर्ष से ही उत्पादन रासायिनक खेती जितना ही होता है। रासायनिक खेती में खर्च अधिक होता है, जबकि प्राकृतिक कृषि में नहीं के बराबर खर्च होने से किसानों को अधिक लाभ होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर में प्राकृतिक कृषि का दायरा बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन की शुरुआत की है। तब यह हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि इस मिशन के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास करें की अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक कृषि को अपनाएं। राज्यपाल ने जिला स्तर पर सभी महानगर पालिका आयुक्तों, जिला कलेक्टरों और जिला विकास अधिकारियों से किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने हेतु अधिक से अधिक बिक्री बाजार स्थापित करने की अपील की। राज्यपाल ने मार्गदर्शन देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल द्वारा शुरू किए गए बिजली बचाओ अभियान के अंतर्गत हम सभी को मिलकर प्रयास कर बिजली बचाने में योगदान देना चाहिए। बिजली बचाने की आदत से पर्यावरण भी बचेगा और जरूरतमंदों को पर्याप्त बिजली भी मिलेगी। यदि हम सूर्योदय से कुछ समय पहले स्ट्रीट लाइटें बंद करके और सूर्योदय के तुरंत बाद स्ट्रीट लाइट को शुरू करके प्रतिदिन एक घंटे के लिए भी बिजली बचाएंगे, तो हम करोड़ों रुपये की बचत कर सकते हैं। इसके उपरांत ऑफिस में हों तभी ही उपकरणों का उपयोग करें। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा कि कलेक्टरों-जिला विकास अधिकारियों को जिले के अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती के खेतों की मुलाकात के लिए ले जाकर, प्राकृतिक खेती से कम आय होने की प्रचलित भ्रांति को दूर करने में विशेष भूमिका निभानी होगी। भूपेंद्र पटेल ने यह भी कहा कि वे कलेक्टरों-जिला विकास अधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे अपने रूटीन कार्यक्रमों जैसे गांवों की मुलाक़ात, ग्राम सभा और रात्रिसभा के दौरान प्राकृतिक खेती की समीक्षा करें और अधिक से अधिक किसानों-ग्रामवासियों को इसके लिए प्रेरित करें। राज्य सरकार प्राकृतिक खेती के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी के अथक प्रयासों को गति दे रही है। राज्य सरकार 100 प्रतिशत जैविक खेती की ओर बढ़ने के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को जो नौ संकल्प दिये हैं, उनमें प्राकृतिक खेती और कृषि उत्पादन का दायरा बढ़ाने का भी समावेश है। इस संदर्भ में, मुख्यमंत्री ने राज्य के जिला कलेक्टरों और जिला विकास अधिकारियों से आह्वान किया कि प्राकृतिक खेती से स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती और रोग मुक्त जीवनशैली अधिक-से-अधिक प्रचलित हो और अंतिम छोर पर रहने वाले लोगों तक पहुंचे इसके लिए जिले के मुखिया होने के तौर पर उन्हें लीड लेनी है। कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री श्री अमितशाह के मार्गदर्शन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पूरे राज्य में प्राकृतिक कृषि के प्रसार को बढ़ाने के लिए सतत प्रयासरत हैं। राज्य का कृषि विभाग इस भगीरथ कार्य में बहुत निष्ठापूर्वक कार्य कर रहा है। राज्य के सभी म्युनिसिपल कमिश्नर, जिला कलेक्टर और जिला विकास अधिकारी अपने जिलों में अधिक से अधिक किसानों के मॉडल फार्मों की मुलाक़ात का आयोजन करें। यह जरूरी है कि अधिक से अधिक किसानों को प्रशिक्षित करने की व्यवस्था करने सहित किसानों को अपने प्राकृतिक कृषि उत्पादों को बेचने में कोई कठिनाई न हो, इसके लिए स्थान उपलब्ध कराने की व्यवस्था करवाना अनिवार्य है। बैठक की शुरुआत में मुख्य सचिव पंकज जोशी ने राज्य में प्राकृतिक कृषि की प्रगति के विषय में जानकारी दी। कृषि, किसान कल्याण एवं सहकारिता विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती अंजू शर्मा ने राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन और गुजरात प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड द्वारा किए जा रहे कार्यों पर एक प्रेजेंटेशन दी। इस बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एम. के. दास, राज्यपाल के प्रधान सचिव अशोक शर्मा, कृषि, पशुधन एवं पशुपालन विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ-साथ राज्य के सभी म्युनिसिपल कमिश्नर, जिला कलेक्टर एवं जिला विकास अधिकारी उपस्थित रहे। सतीश/24 अप्रैल