जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन में मंगलवार 22 अप्रैल, 2025 की दोपहर करीब तीन बजे बड़ा आतंकी हमला हुआ। आतंकियों ने पर्यटकों के ग्रुप को निशाना बनाया, जिसमें 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। दर्जन भर से ज्यादा लोग इस हमले में घायल भी हुए, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। आतंकियों को पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। सीआरपीएफ (CRPF) की क्विक एक्शन टास्क फोर्स भी आतंकियों की तलाश कर रही है। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर का दौरा किया है जम्मू-कश्मीर में 2019 के पुलवामा अटैक के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है। आतंकियों ने मंगलवार को पर्यटकों पर फायरिंग की, जिसमें 28 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में एक यूएई और एक नेपाल का पर्यटक और 2 स्थानीय नागरिक शामिल हैं। बाकी पर्यटक यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के हैं।पहलगाम में एक दिन पहले हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित रखने का फैसला किया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार (23 अप्रैल, 2025) को प्रधानमंत्री आवास पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक के बाद यह घोषणा की। इस बीच, सरकार ने गुरुवार (24 अप्रैल, 2025) को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मंगलवार (22 अप्रैल, 2025) दोपहर को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के ऊपरी इलाकों में बैसरन घास के मैदानों में नागरिकों पर हुए सबसे घातक हमलों में से एक में आतंकवादियों के एक समूह ने दो विदेशी पर्यटकों सहित कम से कम 27 लोगों की हत्या कर दी।लेकिन सवाल यह है कि ऐसा कब तक करेंगे देश सर्वोपरि है सेना को पूर्ण रूप से छूट जब तक नहीं होगा लोग मारे जाते रहेंगे।इस क्रूरता की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है क्योंकि आतंकवाद का कोई धर्म या क़ोई नियम कानून नहीं होता वो केवल अपनी माँगों को पूरा करने के लिये सरकार के ऊपर दबाव बनाने के साथ ही आतंक को हर जगह फैलाने के लिये निर्दोष लोगों के समूह या समाज पर हमला करते हैं। उनकी माँगे बेहद खास होती हो, जो वो चाहते हैं केवल उसी को पूरा कराते हैं। ये मानव जाति के लिये एक बड़ा खतरा है। वो कभी-भी अपने दोस्त, परिवार, बच्चे, महिला या बूढ़े लोगों के लिये समझौता नहीं करते हैं। वो केवल लोगों की भीड़ पर बम गिराना चाहते हैं। वो लोगों पर गोलियाँ चलाते हैं, विमानों का अपहरण करते हैं और दूसरी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।कम से कम समय में अपने मुख्य क्षेत्रों या देशों में आतंक फैलाने के लिये आतंकवादी लक्ष्य बनाते हैं। पूर्व में, ऐसा माना जाता है कि आतंकवादी गतिविधियाँ केवल जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित थी लेकिन अब ये अपनी जड़ें देश के दूसरे क्षेत्रों में भी फैला रहा है। देश में अलग-अलग नामों के साथ कई सारे आतंकवादी समूह सक्रिय हैं। अपने कार्य के अनुसार राजनीतिक और आपराधिक आतंकवाद के दो मुख्य प्रकार हैं। कुछ खास लक्ष्यों को पूरा करने के लिये प्रशिक्षित लोगों का समूह है आतंकवाद। विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने के लिये एक से ज्यादा आतंकी समूह प्रशिक्षित किये जाते हैं। ये एक बीमारी की तरह है जो नियमित तौर पर फैल रही है और अब इसके लिये कुछ असरदार उपचार की जरुरत है।आतंकवादी कहे जाने वाले प्रशिक्षित लोगों के समूह के द्वारा अन्यायपूर्ण और हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देने की प्रक्रिया को आतंकवाद कहते हैं। वहाँ केवल एक मालिक होता है जो समूह को किसी भी खास कार्य को किसी भी तरीके से करने का सख्त आदेश देता है। अपने अन्यायी विचारों की पूर्ति के लिये उन्हें पैसा, ताकत और प्रचार की जरुरत होती है। ऐसी परिस्थिति में, ये मीडिया होती है जो किसी भी राष्ट्र के समाज में आतंकवाद के बारे में खबर फैलाने में वास्तव में मदद करती है। अपनी योजना, विचार और लक्ष्य के बारे में लोगों तक पहुँच बनाने के लिये आतंकवाद भी मीडिया का सहारा लेता है।अपने उद्देश्य और लक्ष्य के अनुसार विभिन्न आतंकी समूह का नाम पड़ता है। आतंकवाद की क्रिया मानव जाति को बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है और लोगों को इतना डरा देती है कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डरते हैं। वो सोचते हैं कि आतंक हर जगह है जैसे घर के बाहर रेलवे स्टेशन, मंदिर, सामाजिक कार्यक्रमों, राष्ट्रीय कार्यक्रमों आदि में जाने से घबराते हैं। लोगों के दिमाग पर राज करने के साथ ही अपने कुकृत्यों कों प्रचारित और प्रसारित करने के लिये अधिक जनसंख्या के खास क्षेत्रों के तहत आतंकवादी अपने आतंक को फैलाना चाहते हैं। आतंकवाद के कुछ हालिया उदाहरण 7 अक्टूबर को इजराइल में हमास का हमला,अमेरिका का 9/11 और भारत का 26/11 हमला है। इसने इंसानों के साथ ही बड़े पैमाने पर देश की अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुँचायी है।युद्ध द्वारा किसी राष्ट्र से आतंकवाद और आतंक के प्रभाव को खत्म करने के लिये, सरकार के आदेश पर कड़ी सुरक्षा का प्रबंध किया गया है। वो सभी जगह जो किसी भी वजह से भीड़-भाड़ वाली जगह होती या बन जाती है जैसे सामाजिक कार्यक्रम, राष्ट्रीय कार्यक्रम जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, मंदिर आदि को मजबूत सुरक्षा घेरे में रखा जाता है। सभी को सुरक्षा नियमों का पालन करता पड़ता है और ऑटोमैटिक बॉडी स्कैनर मशीन से गुजरना पड़ता है। इस तरह के उपकरणों का इस्तेमाल करने के द्वारा सुरक्षा कर्मियों को आतंकवादी की मौजूदगी का पता लगाने में मदद मिलती है। इस तरह की कड़ी सुरक्षा प्रबंधन के बाद भी हम लोग अभी-भी आतंकवाद का खिलाफ प्रभावशाली रुप से नहीं खड़े हो पा रहें हैं, उससे लड़ने की आवश्यकता है,आतंकी समूह को खत्म करने के साथ ही आतंक के खिलाफ लड़ने के लिये हर साल हमारा देश ढ़ेर सारे पैसे खर्च करता है। हालाँकि, ये अभी-भी एक बीमारी की तरह बढ़ रही है क्योंकि रोजाना नये आतंकवादी तैयार हो रहें हैं। वो हमारी तरह ही बहुत सामान्य लोग हैं लेकिन उन्हें अन्याय करने के लिये तैयार किया जाता है और अपने एक समाज, परिवार और देश के खिलाफ लड़ने के लिये दबाव बनाया जाता है। वो इस तरह से प्रशिक्षित होते हैं कि उन्हें अपने जीवन से भी प्यार नहीं होता, वो लड़ते समय हमेशा अपना कुर्बान होने के लिये तैयार रहते हैं। एक भारतीय नागरिक के रुप में, आतंकवाद को रोकने के लिये हम सभी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं और ये तभी रुकेगा जब हम कुछ बुरे और परेशान लोगों की लालच भरी बातों में कभी नहीं आयेंगे।आज, आतंकवाद एक सामाजिक मुद्दा बन चुका है। इसका इस्तेमाल आम लोगों और सरकार को डराने-धमकाने के लिये हो रहा है। बहुत आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये विभिन्न सामाजिक संगठन, राजनीतिज्ञ और व्यापारिक उद्योगों के द्वारा आतंकवाद का इस्तेमाल किया जा रहा है।: यहाँ सब अपने लिए ही सोचते हैं तभी तो गुरूगोविन्द सिंह ने खालसा पंथ बनाया जिसमें सर की मांग की और दूध का दूध पानी का पानी हो गया और सबको जिन्दा बाहर निकाला एकता का इससे सुन्दर परिचय क्या हो सकता है इस समय आतंकवादी हमले पर मारे गए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करें हमें उसपर तर्क या बयान देना उचित नहीं ऐ बर्बरतापूर्ण कार्य है जिसे कड़ी से कड़ी निंदा करता है ईश्वर सभी को हिम्मत दे व आत्मा की शांति की प्रार्थना करता हूँ बहुत दुःखद घटना है वो धर्म को निशाना बनाया गया जिससे समाज में नफरत पैदा हो लेकिन हमें भारत माता का शीश कभी झुकने नहीं देना है जब तक भारत को माता नहीं मानते हैं तो देश टूट जाता है आपस में ही लड़ने लगते हैं जो अब सब मिलकर आतंकवादी से निपटने की जरुरत है। ईएमएस / 24 अप्रैल 25