ज़रा हटके
24-Apr-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। आयुर्वेद में रजनीगंधा को एक विशेष स्थान प्राप्त है। इसके फूल, पत्ते और जड़ें कई औषधीय गुणों से युक्त होती हैं। खासतौर पर यह यौन संचारित रोगों (एसटीआई) के इलाज में कारगर मानी जाती है। रजनीगंधा का नाम सुनते ही मन एक अद्भुत ताजगी से भर जाता है। इसकी सफेद पंखुड़ियां और मनमोहक खुशबू न केवल वातावरण को महकाने का काम करती हैं, बल्कि इसका उपयोग स्वास्थ्य और औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है। वैज्ञानिक रूप से पोलिएन्थेस ट्यूबरोसा नाम से पहचाने जाने वाले इस फूल को आमतौर पर ट्यूबरोज के नाम से भी जाना जाता है। मूल रूप से यह मैक्सिको और मध्य अमेरिका में पाया जाता था, लेकिन अब भारत में भी बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है। इसके सौंदर्य, पवित्रता और सुगंध के कारण इसे प्रेम और शांति का प्रतीक भी माना जाता है। शोध के अनुसार, इसके बल्ब का अर्क गोनोरिया जैसी बीमारियों में प्रभावी होता है। इसके अतिरिक्त, यह मूत्रवर्धक गुणों से भरपूर होता है, जिससे मूत्राशय की सूजन और मूत्र प्रतिधारण जैसी समस्याओं में भी राहत मिलती है। रजनीगंधा का तेल सूजन और जोड़ों के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की सूजन को कम करने और मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। त्वचा की समस्याओं के लिए भी यह एक बेहतरीन प्राकृतिक उपाय माना जाता है। रजनीगंधा का अर्क मुंहासों, तैलीय त्वचा और बड़े रोमछिद्रों की समस्या को कम करने में सहायक होता है। कई सौंदर्य उत्पादों में भी इसका उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह त्वचा को नमी प्रदान करने के साथ-साथ उसे पोषण भी देता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी यह फूल बहुत उपयोगी माना जाता है। रजनीगंधा की खुशबू तनाव और चिंता को कम करने में मदद करती है। इसकी मनमोहक सुगंध दिमाग को शांत करने और बेहतर नींद लाने में सहायक होती है। इस फूल का उपयोग धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी किया जाता है। सुदामा/ईएमएस 24 अप्रैल 2025