स्वास्थ्य विभाग मौन, मिलीभगत की अंदेशा, जिम्मेदार भी काट रहे कन्नी सुविधाओं के नाम मरीज के परिजनों से लूट, चेहरे से झलकता है दर्द धर्मेन्द्र राघव अलीगढ़ (ईएमएस)। जिले में निजी चिकित्सालयों में डॉक्टर खुले आम लोगों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं आने वाले मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की कुंभकर्णी नींद खुलने का नाम नहीं ले रही है। अस्पताल किस प्रकार से अस्पताल लूट के अड्डा बना हुआ हैं, और महंगे इलाज के नाम पर लोगों का शोषण कर रहे हैं। अस्पतालों के मनमाने रवैये से लगभग हर किसी को दो-चार होना पड़ता है। स्थिति नाजुक मौके पर होने वाली लापरवाही से लोगों की जान भी चली जा रही है। जिसका परिणाम यह होता है कि आये दिन कोई न कोई नई घटना सामने आ रही है। ऐसे चन्द चिकित्सालयों के कारण अच्छे चिकित्सकों को भी सेवा पर भी उंगली उठती रहती है। जिले में कुछ चिकित्सालयों को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश चिकित्सकों के अस्पतालों में 10 प्रतिशत भी मानक को पूरा नहीं किया गया है, और यही लोग जिले की चिकित्सा व्यवस्था पर सवालिया निशान दे रहें है। मेडिल स्टोर पर चार गुना महंगी बेची जाती दवा निजी अस्पतालों में चल रहे मेडिकल स्टोरों पर मूल एमआरपी से चार गुना प्रिंट रेट पर इंजेक्शन भी बिकता है। जबकि कई मेडिकल स्टोर बिना पंजीकरण के ही चल रहें हैं। निर्धारित मानक चेक किया जाय तो मेडिकल स्टोरों की खटीया खड़ी हो जायेगी। सूत्र बतातें हैं कि निजी अस्पताल दवाओं पर खुद के हिसाब से एमआरपी डलवाकर कम्पनी का नाम चेंज कर देतें है, जिसके कारण वह दवायें सिर्फ उन्ही के मेडिकल स्टोरों पर मिलेंगी। ऐसे में मरीजों को दवा के लिये पैसों के बन्दोबस्त में दर-दर की ठोकरें खाने को मिलती हैं। स्वास्थ्य सेवाएं यहा मरीजों के लूट का तरीका बन गई है। नतीजा यह हो रहा है कि इलाज के नाम पर उन्हें दोनों हाथों से लूटा जा रहा है। लोगों को सरकार और यह की स्वास्थ्य व्यवस्था से धीरे-धीरे भरोसा टूटने लगा है। मरीजों के परिवार से जारी आर्थिक दोहन नर्सिगं होम झोलाछाप डॉक्टरों के सहारे चल रहा है। जहा अपने को चिकित्सक बताकर झोलाछाप डॉक्टर खुले आम लोगों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं। आने वाले मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग मे कुंभकर्णी नींद खुलने का नाम नहीं ले रही है। यह साफ दिखाई दे रहा है कि किस प्रकार से अस्पताल लूट के अड्डे बन गए हैं। और महंगे इलाज के नाम पर लोगों का शोषण कर रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाल स्थिति को देखते हुए क्या आपको लगता है कि स्वास्थ्य सेवा सरकार की प्राथमिकता में है, बिल्कुल नहीं है। अस्पतालों के मनमाने रवैये से लगभग हर किसी को दो-चार होना पड़ता है। नाजुक मौके पर होने वाली लापरवाही से लोगों की जान भी चली जाती है। संविधान ने जीने का अधिकार तो प्रदान कर दिया है लेकिन स्वास्थ्य का अधिकार मिलना अभी बाकी है। जिससे लोगों का समय पर समुचित इलाज हो सके। स्वास्थ्य व्यवस्था में मची लूट पर लगाम लगे तो कैसे लगे। ईएमएस / दिनांक 21/4/025