लेख
20-Apr-2025
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राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 21 अप्रैल 2025-लोक प्रशासन में ईमानदारी प्रतिबद्धता और निष्पक्षता के मूल्यों को याद दिलाने का दिन ) वैश्विक स्तरपर दुनियाँ के हर देश में विशेष रूप से भारत में, चूँकि वह दुनियाँ का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भी है, उसमें संघ और हर एक राज्य सरकार तीन स्तंभों कार्यपालिका विधायिका व न्यायपालिका के अंतर्गत काम करती है, इन तीनों स्तंभों को अपनी सेवा में ईमानदारी दक्षता का जवाबदेही पूर्ण रूप से समझ में आ गई तो भारत फिर सोने की चिड़िया बन जाएगा और भारत में 20 पेर्सेंट 40 पेर्सेंट 50 पेर्सेंट कमीशन के आरोप प्रत्यारोप सरकारों पर लगाना बंद हो जाएंगे। प्रिंट इलेक्ट्रानिक मीडिया में 19 अप्रैल 2025 को हमने देखे बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 20 पेर्सेंट कमीशन का मुद्दा उठाया तो उसके जवाब में विधानसभा इसके दो कदम बढ़ाकर जवाब दिया गया। पिछली बार मध्य प्रदेश व कर्नाटक चुनाव में भी 40 पेर्सेंट व 50 पेर्सेंट की गूंज हुई थी इसका मतलब यह हुआ कि अगर 100 रूपए निकल रहे हैं तो काम करीब 50-60 परसेंट का हो पता है अगर सिविल सर्वेंट इस दिशा में ईमानदार और जवाब दे होगा तो परसेंट की प्रथम पूर्ण रूप से समाप्त होने की दिशा में काम होगा,इस विषय पर आज हम चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ सटीक निर्णय लेने और ईमानदार सिविल सर्वेंटों को पुरस्कृत करने का दिन है, 21 अप्रैल 2025 है जो राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस है, इसमें आईपीएस आईएएस ए तथा बी श्रेणी के कर्मचारी शामिल होते हैं। इस दिन भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने व ईमानदारी ट्रांसपेरेंसी को अपनाने की प्रतिबद्धता का संकल्प लेना होगा। हमारे पीएम कई बार भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने की बात कर चुके हैं, जैसे हमारे गृहमंत्री ने माओवाद नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने 31 मार्च 2026 की डेट लाइन दे दी है, इस प्रकार इस बार सिविल सर्वेंट दिवस 21 अप्रैल 2025 को भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने की डेट लाइन देने की जरूरत है। 21 अप्रैल 2025 को भी माननीय पीएम इस दिवस पर सुबह 11 बजे सेवकों को संबोधित कर रहे हैं।चूँकि यह दिन सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है इसलिए आज हम मीडिया में अपनी जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 21 अप्रैल 2025, लोक प्रशासन में ईमानदारी प्रतिबद्धता और निष्पक्षता के मूल्यों को याद दिलाने व संकल्प लेने का दिन है। साथियों बात अगर हम सिविल सेवा दिवस 21 अप्रैल 2025 को जानने की करें तो, राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के बारे में (1) भारत में, राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस हर वर्ष 21 अप्रैल को सिविल सेवकों द्वारा राष्ट्र को दी गई अमूल्य सेवाओं के सम्मान में मनाया जाता है। (2) यह तारीख 1947 में दिल्ली के मेटकाफ हाउस में आईएएस के प्रथम बैच को सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा दिए गए प्रसिद्ध संबोधन की याद दिलाती है। (3) इस भाषण में उन्होंने सिविल सेवकों को भारत का इस्पात ढांचा बताया, वही गुण जो राष्ट्र को एकजुट और अक्षुण्ण बनाए रखता है। (4) यह सिविल सेवकों के लिए अपने कर्तव्यों पर चिंतन करने का दिन है, जो जनता की सेवा करने के उनके दायित्व को नवीनीकृत करता है। (5) इस अवसर पर जहां शासन में उत्कृष्टता का सम्मान किया जाता है, वहीं शासन में नए और प्रभावी कार्य के लिए लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है। (6) इस प्रकार राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस न केवल सिविल सेवकों को सलाम करने का एक अवसर है, बल्कि यह हमें ईमानदारी, प्रतिबद्धता और निष्पक्षता के मूल मूल्यों की भी याद दिलाता है, जो भारत की सिविल सेवाओं की भावना का गठन करते हैं। राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (1) राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस की पहली वर्षगांठ 21 अप्रैल को है, और इसकी शुरुआत 1947 में हुई थी,जब सरदारवल्लभ भाई पटेल भारत के पहले गृह मंत्री बने और उन्होंने नई दिल्ली के मेटकाफ हाउस में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों के पहले कैडर को कुशलता पूर्वक नियुक्त किया।(2) पटेल के उत्साहवर्धक भाषण में सिविल सेवकों को स्वतंत्रता के बाद देश की एकता, स्थिरता और प्रभावी शासन की जिम्मेदारी निभाने वाला बताया गया। (3) सिविल सेवकों को भारत का स्टील फ्रेम कहा गया, जिसने एक नव स्वतंत्र राष्ट्र की संरचना को मजबूत करने में सिविल सेवा की भूमिका पर जोर दिया। (4) प्रशासनिक इतिहास के इतिहास में अतीत के लिए पूर्ण महत्व के लिए, भारत सरकार ने घोषणा की कि अब से और 2006 से, 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के रूप में जाना और मनाया जाएगा। दरअसल, उस समय से, देश भर में सिविल सेवकों द्वारा किए गए हर योगदान को स्वीकार करने के लिए हर साल इस अवसर को मनाया जाता है।(5) इस प्रकार यह दिन उनके योगदान को सम्मानित करने, सर्वोत्तम प्रथाओं की ओर ध्यान आकर्षित करने तथा नागरिकों को सेवा प्रदान करने में उत्कृष्टता लाने के लिए उन्हें प्रेरित करने का एक मंच बन गया है। साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के उद्देश्यों की करें तो, (1) मुख्य रूप से, राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का लक्ष्य पूरे भारत में सिविल सेवकों के प्रदर्शन मानकों को मान्यता देना, प्रेरित करना और उन्नत करना है। (2) हर साल 21 अप्रैल को यह दिन उनसिविल सेवकों को सम्मानित करने का दिन है जो सरकारीनीतियों और उचित प्रशासन के अनुप्रयोग को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; सिविल सेवक समर्पण, ईमानदारी और अथक सेवा के लोग हैं। (3) इस उत्सव के पीछे की भावना सिविल सेवकों को जनता के प्रति अपनी सेवा में ईमानदारी, दक्षता और जवाबदेही अपनाने के लिए प्रेरित करना है। (4) यह दिन सिविल सेवकों को अपनी जिम्मेदारियों और अनुभवों पर विचार करने तथा अन्यत्र अपनाई गई नवीन प्रथाओं से सीखे गए सबक का आदान-प्रदान करने का अवसर भी देता है। (5) लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार इस क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करते हैं, ताकि अन्य लोग भी ऐसी ही उपलब्धियां हासिल करने के लिए प्रेरित हो सकें। (6) फोकस का दूसरा क्षेत्र, प्रशासन की नागरिक-उत्तरदायी भावना के लिए शासन में नवाचारों को निरंतर सुधारना और बढ़ावा देना है, जो बदलते देश की मांगों पर प्रतिक्रिया दे सके। साथियों बात अगर हम राष्ट्र में सिविल सेवाओं की भूमिका वह चुनौतियों की करें तो, राष्ट्र निर्माण में सिविल सेवाओं की भूमिका--(1) सिविल सेवा को राष्ट्र निर्माण की इमारत का मुकुट-राष्ट्रीय प्रशासनिक प्रणाली की रीढ़ कहा गया है। (2) भारत में, सिविल सेवक इस विशाल देश के विशाल विस्तार में सरकारी नीति कार्यान्वयन और कानून-व्यवस्था के संबंध में सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान को लोकप्रिय बनाने का कार्य करते हैं। (3) वे सत्ता और राजनीतिक शासन की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं, साथ ही प्रभावी प्रशासन के लिए राजनीतिक उथल-पुथल के बीच स्थिरता और निश्चितता लाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। (4) वे विकास परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें लागू करने, संसाधन प्रबंधन और जमीनी स्तर पर लोगों की जरूरतों का ख्याल रखने में शामिल हो सकते हैं। सिविल सेवक आबादी और सरकार के बीच एक संचार लाइन भी बनाए रखते हैं ताकि कल्याणकारी योजनाएं अपने सही लाभार्थियों तक पहुंच सकें। (5) इसलिए, आपदाओं और विपत्तियों के दौरान, वे सभी राहत और पुनर्वास गतिविधियों के लिए अग्रिम पंक्ति के प्रत्युत्तरकर्ता बन जाते हैं। (6) निष्पक्षता, सत्यनिष्ठा और सम्मान- प्रतिबद्धता नागरिक संस्थाओं को ताकत देती है जो सुशासन सुनिश्चित करती हैं। (7) इस प्रकार वे राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सिविल सेवकों के समक्ष चुनौतियाँ---(1) भारत में सिविल सेवकों को, हर जगह की तरह, अपने कर्तव्यों के निष्पादन में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जो कि ज्यादातर मांग और जटिल परिस्थितियों की विशेषता होती है। नौकरशाही की लालफीताशाही चुनौतियों में सबसे ऊपर है जब वे निर्णय लेने की गति को धीमा कर देते हैं, जिससे प्रभावी सेवा वितरण में बाधा आती है। राजनीतिक दबाव और हस्तक्षेप कभी-कभी अन्य चुनौतियाँ होती हैं जिनका सामना सिविल सेवक तब करते हैं जब वे निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्य करने में असमर्थ होते हैं।(2) सिविल सेवक विभिन्न परिस्थितियों में काम करते हैं जैसेसंसाधनों और बुनियादी ढांचे की कमी, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में। ऐसे सिविल सेवकों के लिए वास्तविकता नीतियों और कार्यक्रमों की सीमा से और भी जटिल हो सकती है जिन्हें उन्हें काफी कुशलता से लागू करना होता है। भार और तनाव प्रमुख मुद्दे हैं जिनके तहत सिविल सेवक काम करते हैं क्योंकि उन्हें प्रशासन से लेकर संकट प्रबंधन तक कई काम संभालने होते हैं।(3) इसके अलावा, लोगों की जागरूकता और प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच में वृद्धि के साथ, नागरिक पहले से किए गए वादों से कहीं अधिक की अपेक्षा करते हैं- उनकी मांगें अब पारदर्शिता, जवाबदेही और सेवा वितरण की गति से संबंधित भविष्य की हैं। इससे दबाव भी बढ़ता है क्योंकि व्यक्ति को विकसित हो रही प्रौद्योगिकी और कौशल के संदर्भ में खुद को अपडेट करते रहना पड़ता है। (4) इन कठिनाइयों के बावजूद, सच्चे सिविल सेवकों ने बहुत समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा जारी रखी है, तथा अक्सर लोक कल्याण और सुशासन के उत्थान के लिए अपने कर्तव्य से भी अधिक कार्य साथियों बात अगर हम सिविल सेवकों की प्रतिबद्धता की करें तो,भारत में सिविल सेवकों ने अपनी प्रतिबद्धता और सेवा प्रदान की, जिसे 21 अप्रैल को मनाए गए राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस पर स्मरण किया जाता है। यह दिन सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा 1947 में पहले आईएएस अधिकारियों के प्रेरण पाठ्यक्रम में दिए गए प्रेरक भाषण की याद दिलाता है, जहाँ उन्होंने उन्हें कुशल प्रशासन और सार्वजनिक सेवा के माध्यम से शासन और राष्ट्र निर्माण की रीढ़ के रूप में देखा था। निष्कर्ष राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2025 राष्ट्र के विकास और प्रगति पर सिविल सेवकों के प्रभाव की याद दिलाता है। यह उनके समर्पण को सलाम करता है, शासन में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करता है, और ईमानदारी और जवाबदेही के प्रति प्रतिबद्धता को बढ़ावा देता है। यह दिन सार्वजनिक सेवा में गर्व को बढ़ावा देता है और राष्ट्र के प्रशासन को मजबूत करता है।आगे बढ़ने का रास्ता राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2025 का भविष्य नवाचार, पारदर्शिता और नागरिक-केंद्रित शासन पर निर्भर करता है। प्रशिक्षण के अवसरों में वृद्धि, आईसीटी को एकीकृत करना और जवाबदेही सुनिश्चित करना सिविल सेवकों को जनता की लगातार बदलती मांगों के प्रति अधिक कुशलता से अनुकूल होने और एक उत्तरदायी और प्रगतिशील प्रशासनिक प्रणाली के स्तंभ के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करने में सक्षम बनाएगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 21 अप्रैल 2025-लोक प्रशासन में ईमानदारी प्रतिबद्धता और निष्पक्षता के मूल्यों को याद दिलाने का दिन।सिविल सर्वेंट को भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने का संकल्प राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस पर लेना ज़रूरी सिविल सेवकों को जनता के प्रति अपनी सेवा में ईमानदारी दक्षता और जवाबदेही पूर्ण रूप से समझ में आ गई, तो भारत फिर सोने की चिड़िया बनेगा। (संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) ) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 20 अप्रैल /2025