राष्ट्रीय
19-Apr-2025
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मुंबई,(ईएमएस)। महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव संभव है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने एक बातचीत के दौरान यह संकेत दिए हैं कि वे उद्धव ठाकरे के साथ फिर से हाथ मिला सकते हैं। बातचीत के दौरान राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन महाराष्ट्र और मराठी अस्मिता के लिए एक होना असंभव नहीं है। एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, कि हमारे बीच राजनीतिक मतभेद और झगड़े रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र के हित के आगे ये सब बहुत छोटी बातें हैं। यह मेरी व्यक्तिगत इच्छा नहीं, बल्कि एक व्यापक सोच है। राज ठाकरे के इस बयान के बाद उद्धव ठाकरे की भी सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें उन्होंने कहा है, कि मेरी तरफ से तो कभी कोई झगड़ा था ही नहीं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर साथ आकर महाराष्ट्र का हित होता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। इन दोनों बयानों को जोड़ कर देखने वाले यही कह रहे हैं कि बहुत जल्द राज और उद्धव मंच साझा करते दिख जाएं तो हैरानी नहीं होगी। इस बातचीत में राज ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के टूटने पर भी अपनी राय रखी और उन्होंने कहा, कि विधायकों का टूटना अब राजनीति का हिस्सा बन गया है। लेकिन मेरे लिए उस समय बालासाहेब के बाद किसी और के अधीन काम करना संभव नहीं था। बीजेपी के साथ संभावित गठबंधन पर उन्होंने कहा कि, मेरे और भाजपा के विचार मेल नहीं खाते, लेकिन राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। कब क्या बदल जाए, कहा नहीं जा सकता। यहां बताते चलें कि राज ठाकरे बालासाहेब ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाते रहे हैं, लेकिन 2006 में मतभेदों के चलते राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर एमएनएस की स्थापना की थी। तब से उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों के रास्ते अलग-अलग हो गए, हालांकि दोनों ही नेताओं की विचारधारा में अनेक समानताएं हमेशा बनी रहीं। राजनीतिक संकेत या भविष्य की रणनीति? राज ठाकरे का यह बयान सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में संभावित बड़े गठबंधन की ओर इशारा करता है। अगर एमएनएस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) एक साथ आते हैं, तो यह गठबंधन मराठी वोट बैंक पर बड़ा असर डाल सकता है, खासकर मुंबई और उपनगरीय क्षेत्रों में। इसके चलते इस बयान को अन्य दल गंभीरता से ले रहे हैं। हिदायत/ईएमएस 19अप्रैल25