राष्ट्रीय
19-Apr-2025


-सांसद व वरिष्ठ वकील ने उपराष्ट्रपति धनखड़ के बयान पर कसा तंज नई दिल्ली,(ईएमएस)। तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा विधेयकों को मंजूरी न देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने नई बहस छेड़ दी है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट को ‘सुपर संसद’ बताया है, जिसके जवाब में राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने धनखड़ पर तंज करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति को यह समझना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना होता है। बता दें उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि कुछ जज ‘कानून बना रहे हैं’ और ‘सुपर संसद’ की तरह काम कर रहे हैं। धनखड़ ने खास तौर पर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र किया, जिसमें राष्ट्रपति को निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें इस मसले पर बेहद संजीदा होना होगा। धनखड़ ने कहा कि संविधान सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का हक देता है, लेकिन इसके लिए पांच जजों की पीठ की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला सिर्फ समीक्षा याचिका दाखिल करने या न करने का नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के लिए एक नाजुक वक्त है। कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि धनखड़ को यह मालूम होना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह-मशविरा के मुताबिक काम करते हैं। यह उपराष्ट्रपति धनखड़ जी को पता होना चाहिए, वह पूछते हैं कि राष्ट्रपति की शक्तियों को कैसे कम किया जा सकता है, लेकिन शक्तियों को कौन कम कर रहा है? मैं कहता हूं कि एक मंत्री को राज्यपाल के पास जाना चाहिए और दो साल तक वहां रहना चाहिए, ताकि वे सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठा सकें, क्या राज्यपाल उन्हें अनदेखा कर पाएंगे? उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि अगर संसद कोई विधेयक पारित कर देती है, तो क्या राष्ट्रपति इसे लागू करने को अनिश्चित काल के लिए टाल सकते हैं? अगर इस पर हस्ताक्षर नहीं भी किए गए, तो क्या किसी को इसके बारे में बात करने का अधिकार नहीं है? बता दें तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा विधेयकों को मंजूरी न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए साफ कहा कि राज्यपाल को विधानमंडल के फैसलों को अनदेखा करने का हक नहीं है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और राष्ट्रपति को लेकर निर्देश दिया कि वह किसी भी बिल को लंबे वक्त तक रोक कर नहीं रख सकते हैं। सिराज/ईएमएस 19अप्रैल25