मुंबई, (ईएमएस)। मध्य रेल ने राष्ट्र के प्रति अपनी 172 वर्षों की विशिष्ट सेवा के साथ, विश्व विरासत दिवस 2025 को बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया। 18 अप्रैल को प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले विश्व विरासत दिवस की शुरुवात इंटरनॅशनल कौंसिल ओन मोनुमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) द्वारा सांस्कृतिक विरासत के महत्व और इसके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी। ICOMOS द्वारा प्रस्तावित 2025 का विषय “विरासत की सुरक्षा के संबंध में आपदा और संघर्ष प्रतिरोधी विरासत कार्रवाई” है। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) के प्लेटफ़ॉर्म 14 और 15 के बीच स्थित हेरिटेज एली में एक विशेष हेरिटेज प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी ने यात्रियों और इतिहास प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें दुर्लभ कलाकृतियां और भारतीय रेलवे के गौरवशाली अतीत की मनोरम झलकियां प्रदर्शित की गईं। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल-छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस को खुबसूरत बहुरंगी रोशनी से खूबसूरती से रोशन किया गया था। ब्रिटिश इंजीनियर फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस द्वारा डिजाइन किया गया 138 साल पुराना वास्तुशिल्प चमत्कार, इंडो-गॉथिक वास्तुकला का एक आश्चर्यजनक उदाहरण है। इसका निर्माण 1878 में शुरू हुआ और 1888 में 16,13,863 रूपये की लागत से पूरा हुआ। यह इमारत मुगल और पारंपरिक भारतीय वास्तुशिल्प तत्वों के साथ विक्टोरियन गोथिक पुनरुद्धार शैली को मिलाती है, जो भारत की समृद्ध और विविध विरासत का प्रतीक है। शुक्रवार के कार्यक्रमों की शुरुवात, सीएसएमटी मुंबई में स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें आदरांजलि दे कर की गयी। समारोह के हिस्से के रूप में एक हेरिटेज वॉक आयोजित की गई, जिसका नेतृत्व प्रतीक गोस्वामी, अपर महाप्रबंधक, और सुबोध कुमार सागर, प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर ने प्रमुख विभागाध्यक्षों के साथ किया। वॉक ने सीएसएमटी की स्थापत्य भव्यता पर प्रकाश डाला और भारतीय रेलवे की समृद्ध विरासत का जश्न मनाया गया| पदयात्रा में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों, नागरिक सुरक्षा, स्काउट और गाइड के सदस्यों, सफाई कर्मचारियों और बड़ी संख्या में रेलवे कर्मचारियों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके अतिरिक्त, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर एक फायर ब्रिगेड प्रदर्शनी मुंबई अग्निशमन विभाग द्वारा आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य अग्नि सुरक्षा, विशेषकर विरासत संरचनाओं और कलाकृतियों की सुरक्षा के संबंध में जागरूकता पैदा करना था। मध्य रेलवे ने विभिन्न स्थानों पर अपनी विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं: * भारत के सबसे पुराने रेलवे स्टेशनों में से एक, भायखला स्टेशन, 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर से ठाणे तक की पहली ऐतिहासिक ट्रेन यात्रा का हिस्सा था। अब 172 साल पुराने स्टेशन को सावधानीपूर्वक अपने मूल गोथिक वास्तुशिल्प गौरव में बहाल किया गया है और इसे बहुत सावधानी से संरक्षित किया जा रहा है। * नेरल-माथेरान लाइट रेलवे, एक 118 साल पुरानी विरासत लाइन, का 1907 में परिचालन शुरू किया। यह सुंदर नैरो-गेज रेलवे वयस्क, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए समान रूप से एक सुखद अनुभव है। यह यात्रियों को हरे-भरे जंगलों और पहाड़ी इलाकों के माध्यम से एक अनूठी यात्रा प्रदान करता है, जो विंटेज रेल यात्रा के आकर्षण को संरक्षित करता है। मध्य रेल प्रगतिशील भविष्य के लिए आधुनिकीकरण और नवाचार को अपनाते हुए भारतीय रेल की कालातीत विरासत को संरक्षित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। संतोष झा- १८ अप्रैल/२०२५/ईएमएस