राष्ट्रीय
18-Apr-2025


बोले-क्या दुलत की पिछली किताब में लिखी गई बातें भी सच हैं? नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व चीफ एएस दुलत फिर चर्चा में आ गए हैं। उनकी नई किताब द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इस किताब में दुलत ने फारूक अब्दुल्ला को लेकर बड़ा दावा किया है जिस पर महबूबा मुफ्ती ने प्रतिक्रिया दी जिस पर जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला भड़क गए। उमर ने दो टूक कह कहा कि इस तरह तो क्या दुलत की पिछली किताब में महबूबा के पिता के बारे में लिखी गई बातें भी सच हैं? उमर अब्दुल्ला ने यह नहीं बताया कि एएस दुलत ने अपनी पिछली किताब में महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के बारे में क्या लिखा था, लेकिन यह साफ है कि उमर यहां दुलत की 2015 में पब्लिश किताब कश्मीर: द वाजपेयी ईयर्स की बात कर रहे हैं। दुलत की यह किताब 1990 के दशक में रॉ के चीफ और आईबी के विशेष निदेशक के तौर पर उनके अनुभवों पर आधारित है। किताब में वाजपेयी सरकार के दौरान कश्मीर में शांति स्थापित करने की कोशिशों, भारत-पाकिस्तान शांति पहल, कश्मीर में भारत सरकार की नीतियों, अलगाववादी आंदोलनों और खुफिया ऑपरेशन को लेकर कई दावे किए गए। इस किताब में दुलत ने दावा किया है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने उनसे कहा था कि पाकिस्तान ने कश्मीर में सभी को अपने प्रभाव में ले लिया है। वे सभी को वित्तीय मदद दे रहे हैं। उन्होंने हमसे भी संपर्क किया है। दुलत ने किताब में दावा किया है कि अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी और मुफ्ती मोहम्मद सईद के बीच करीबी रिश्ता था। उनके मुताबिक गिलानी ने मुफ्ती को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) बनाने में मदद की थी। इसके अलावा किताब में 1989 में मुफ्ती सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण का भी जिक्र है। किताब में कहा गया है कि उस समय मुफ्ती सईद केंद्र सरकार में गृहमंत्री थे और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ने रुबिया का अपहरण कर लिया था और उसे छोड़ने के बदले पांच आतंकियों की रिहाई की मांग की थी। दुलत ने किताब में दावा किया है कि उस समय फारूक अब्दुल्ला ने इसका विरोध किया था लेकिन चूंकि सईद केंद्र सरकार में गृहमंत्री थे ने आतंकियों को रिहा कर दिया था। यह फैसला कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने वाला साबित हुआ। पूर्व रॉ चीफ दुलत ने अपनी नई किताब में दावा किया है कि जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने 2019 में धारा 370 को हटाने के केंद्र के फैसले को निजी तौर पर समर्थन किया था, जबकि सार्वजनिक रूप से उन्होंने इसे कश्मीर के साथ धोखा बताया था। किताब के मुताबिक फारूक ने दुलत से कहा था कि हम मदद कर सकते थे, लेकिन हमें यकीन में क्यों नहीं लिया गया? दुलत ने अपनी किताब में यह भी दावा किया कि फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने 370 हटाने से कुछ दिन पहले पीएम मोदी से मुलाकात की थी, लेकिन क्या बात हुई इस बारे में किसी को जानकारी नहीं है। इस पर फारूक ने कहा था कि 370 के हटाए जाने से पहले वह, उमर और सांसद हसनैन मसूदी, पीएम मोदी से मिले थे और कश्मीर घाटी में बढ़ती फौज की तैनाती पर सवाल पूछा था, लेकिन पीएम मोदी ने कोई जवाब नहीं दिया था। अगर उन्हें 370 के बारे में जानकारी होती, तो वे उसी वक्त अलार्म बजा देते। इस पर महबूबा मुफ्ती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। सिराज/ईएमएस 18अप्रैल25