राष्ट्रीय
18-Apr-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सड़क हादसों के पीड़ितों को तुरंत मदद देने के लिए फौरी प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सड़क हादसों को सार्वजनिक महत्व का गंभीर विषय बताया और चिंता व्यक्त की कि दुर्घटना के शिकार लोगों को समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाती है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया यह अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है। देश में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कई मामलों में पीड़ितों को तत्काल चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाती है। याचिकाकर्ता ने छह प्रोटोकॉल सुझाए थे, लेकिन कोर्ट ने इस चरण में कोई अनिवार्य आदेश जारी करने से परहेज किया। हालांकि, तत्काल कार्रवाई की जरूरत को दोहराया। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छह महीने के अंदर ऐसे प्रोटोकॉल तैयार करने और लागू करने का निर्देश दिया है। संबंधित सरकारों को तय समयसीमा में अपना जवाब रिकॉर्ड पर पेश करना होगा। सड़क सुरक्षा से जुड़े एक अन्य निर्देश में कोर्ट ने परिवहन वाहनों के चालकों की वर्किंग स्थिति पर भी ध्यान केंद्रित किया है। मोटर अधिनियम के अंतर्गत ड्राइवरों के लिए रोज 8 घंटे और प्रति सप्ताह 48 घंटे काम का समय तय है। कोर्ट ने इन प्रावधानों के क्रियान्वयन पर चिंता जताई और कहा कि इनका उल्लंघन भी दुर्घटनाओं का कारण बनता है। इसके समाधान के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित विभागों के साथ बैठक कर प्रभावी कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक प्रावधानों पर विचार नहीं किया जाएगा, तब तक इन नियमों का सही क्रियान्वयन नहीं हो सकेगा। राज्य सरकारों को अगस्त के आखिर तक अमल रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपनी होगी। इसके बाद मंत्रालय समग्र रिपोर्ट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत करेगा। सिराज/ईएमएस 18अप्रैल25 ------------------------------