राष्ट्रीय
18-Apr-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत में चुनाव प्रचार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती भूमिका को देखते हुए चुनाव आयोग जल्द ही इसके इस्तेमाल को लेकर गाइडलाइंस जारी कर सकता है। यह गाइडलाइंस एआई के दुरुपयोग पर रोक लगाने और इसके सुरक्षित व जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई जा रही हैं। समझा जा रहा है कि इसकी पहली झलक इसी साल बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक दलों, मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एआई जनरेटेड कंटेंट के बारे में स्पष्ट रूप से बताना होगा। आयोग डीपफेक और भ्रामक प्रचार सामग्री को रोकने के लिए खास दिशा-निर्देश बना रहा है ताकि मतदाता गुमराह न हों और चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहे। बनाई जा रही गाइडलाइन का उद्देश्य यह भी है कि एआई के जरिए मतदाताओं की निजता भंग न हो और उनकी पसंद पर अनुचित प्रभाव न डाला जाए। एआई के इस्तेमाल का मौजूदा परिदृश्य फ्यूचर शिफ्ट लैब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव में भारत में एआई का इस्तेमाल दुनिया के किसी भी देश से अधिक (80प्रतिशत) हुआ। रिपोर्ट में बताया गया है कि 5 करोड़ से ज्यादा रोबोट कॉल्स की गईं और उम्मीदवारों की आवाज में डीपफेक कॉल्स तैयार की गईं। इसके अलावा 22 भाषाओं में प्रचार सामग्री जनरेट की गई। चुनाव आयोग का यह कदम वैश्विक स्तर पर हो रही एआई निगरानी की प्रक्रिया में भारत की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि एआई किस हद तक एक सहायक औजार बनता है और किस तरह इसके दुष्प्रभावों पर अंकुश लगाया जाता है। हिदायत/ईएमएस 18अप्रैल25