सूरत (ईएमएस)| मंदी से जूझ रहे सूरत के हीरा उद्योग में रत्नकारों को काम नहीं मिल रहा तो वहीं दूसरी ओर कपड़ा उद्योग कामगारों की समस्या से जूझ रहा है| इस उद्योग में 10 से 12 लाख लोग कार्यरत हैं। वर्तमान में शादी के मौसम में बाजार में तेजी है। लेकिन समस्या यह पैदा हो गई है कि होली के लिए अपने गांव गए प्रवासी श्रमिक वापस नहीं लौटे हैं। दूसरी ओर सूरत में हीरा कारोबार को लेकर भी चिंता के बादल मंडरा रहे हैं। सूरत के हीरा तराशने वाले कर्मचारियों को हाल ही में लंबी छुट्टी दी गई है। फिलहाल कपड़ा व्यवसाय की बात करें तो लगभग डेढ़ लाख से अधिक श्रमिकों की कमी है। रंगाई, प्रसंस्करण मिलों से लेकर कुली कार्य तक हर क्षेत्र में श्रमिकों की आवश्यकता होती है। अधिकांश श्रमिक उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और राजस्थान से आते हैं। पार्सल, कटिंग और लिफ्टिंग कार्यों में लगभग 25 प्रतिशत श्रमिकों की कमी है। मनरेगा योजना के तहत मजदूरों को अपने गांवों में 125 दिन काम मिलता है और प्रतिदिन 400 रुपये मजदूरी मिलती है। इस वजह से वे सूरत लौटने से बचते हैं। इसके अलावा, कृषि कार्य और शादी के सीजन के कारण भी श्रमिक वापस नहीं लौट रहे हैं। एक कपड़ा व्यापारी के मुताबिक पिछले दो-तीन साल से अप्रैल, मई और जून के महीने में श्रमिकों को लेकर काफी परेशानी हो रही है। वर्तमान तेजी के दौर में व्यापारियों को लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं और उन सामानों को भेजने के लिए उन्हें भारी मात्रा में श्रमिकों की आवश्यकता है। उनकी रंगाई और प्रसंस्करण मिलें हैं और वहां भी उत्पादन के लिए श्रमिकों की कमी से उत्पादन पर बड़ा असर पड़ रहा है। श्रमिकों की कमी की समस्या इस समय पूरे बाजार में देखाई दे रही है। देश भर में मांग बढ़ने के साथ ही श्रमिकों की कमी के कारण विनिर्माण में भी कमी आ रही है। यहां तक कि उत्पादित माल की डिलीवरी भी मांग के अनुसार समय पर नहीं हो पाती। सतीश/18 अप्रैल