लंदन (ईएमएस)। बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों को लेकर दुनिया हमेशा से हैरान रही है और इसी कड़ी में 2025 में उनकी एक और चेतावनी सच साबित होती दिख रही है। चार दशक पहले दुनिया को अलविदा कह चुकीं बाबा वेंगा ने डिजिटल युग और इंसानी भावनाओं को लेकर जो आशंका जाहिर की थी, वे आज की हकीकत बन चुकी है। उन्होंने बताया था कि 2025 में डिजिटल क्रांति अपने चरम पर पहुंचेगी और इंसान भावनात्मक रूप से खोखले होते जाएंगे। इतना ही नहीं स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालेगा। बाबा वेंगा की चेतावनी थी कि स्मार्टफोन पर निर्भरता इंसानों को मशीनों जैसा बना देगी। वे न सिर्फ भावनाएं महसूस करने की क्षमता खाने वाले हैं, बल्कि मशीनों से भावनात्मक लगाव महसूस करने वाले है। आज के दौर में यह सच होता दिख रहा है। लोग दिन के औसतन 7 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं, इसमें करीब 4 घंटे स्मार्टफोन पर होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई व्यवहारिक अध्ययन यह संकेत देते हैं कि लगातार स्क्रीन पर रहने से नींद में खलल, मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं समाज में बढ़ रही हैं। शोध रिपोर्ट बताती हैं कि स्मार्टफोन की नीली रोशनी और सोशल मीडिया की डोपामाइन एक्टिविटी युवाओं के दिमाग पर बुरा असर डाल रही है। छात्रों और प्रोफेशनल्स में फोकस करने की क्षमता कम हो रही है, जबकि गहरे रिश्ते और सहानुभूति जैसी भावनाएं कमजोर पड़ रही हैं। युवा अब आमने-सामने बातचीत से कतराते हैं। बाबा वेंगा की भविष्यवाणी ने ‘डिजिटल डिटॉक्स’ जैसे आंदोलनों को भी जन्म दिया है। फ्रांस, दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने इसके प्रति कदम उठाए हैं। एप्पल और गूगल ने स्क्रीन टाइम मॉनिटरिंग टूल्स पेश किए हैं। यह सब इस ओर इशारा करता है कि हम उस भविष्य में प्रवेश कर चुके हैं जिसकी चेतावनी बाबा वेंगा ने वर्षों पहले दी थी जहां इंसान मशीनों में तब्दील होते जा रहे हैं। आशीष/ईएमएस 18 अप्रैल2025