राज्य
17-Apr-2025
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- बायोमास उपयोग की समीक्षा में सामने आई बड़ी खामी भोपाल (ईएमएस)। प्रदेश में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिये उपलब्ध बायोमास के ताप विद्युत गृहों में उपयोग के संबंध में बुधवार को प्रदेश के सभी 15 ताप विद्युत गृहों एवं 17 कैप्टिव ताप विद्युत गृहों की समीक्षा बैठक हुई। जिसमें यह तथ्य सामने आया कि प्रदेश के ताप विद्युत गृह पराली समेत अन्य कचरा से बिजली बनाने में पूरी तरह सक्षम नहीं है। क्योंकि प्रदेश के सभी ताप विद्युत गृह, निर्धारित नीति के अनुरूप नहीं हैं। सदस्य सचिव मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोठारी ने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2024-25 में कुल कोयला खपत का 5 प्रतिशत तथा वर्ष 2025-26 में कुल कोयला खपत का 7 प्रतिशत बायोमास कोयले के साथ बॉयलर में जलाने संबंधी दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। इसके अनुसार प्रदेश के सभी ताप विद्युत गृह निर्धारित नीति के अनुरूप नहीं हैं। ताप विद्युत गृहों के प्रतिनिधियों द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा बायोमास के उपयोग के लिये समुचित कार्रवाई की जा रही है। इसमें बायोमास के फीडिंग सिस्टम, लोडिंग-अनलोडिंग, भंडारण संबंधी व्यवस्थाओं का विकास बायोमास प्रदाय करने के लिये उपलब्ध वेण्डर्स की इन्वेन्ट्री एवं टेण्डर संबंधी कार्रवाई की जा रही है। दूसरे राज्यों से बुलाएंगे कचरा ताप विद्युत गृहों जैसे जयप्रकाश पॉवर वेन्चरर्स सिंगरौली एवं बीना, हिंडाल्को सिंगरौली, एनटीपीसी लिमिटेड के विंध्याचल, गाडरवारा और खरगौन में बायोमास का उपयोग प्रारंभ कर दिया गया है। इसे लक्ष्य अनुसार किया जायेगा। प्रतिनिधियों द्वारा बताया गया कि प्रदेश में बायोमास निर्धारित मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, इसीलिये प्रदेश के बाहर जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश बायोमास को वेण्डर्स के माध्यम से प्राप्त कर उसका उपयोग कर रहे हैं। शासन द्वारा भी प्रदेश में बायोमास आधारित पैलेट/ब्रिकेट मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों की स्थापना का प्रयास किये जाने चाहिये। प्रदेश में खड़े होंगे बायोमास आधार ईधन प्रमुख सचिव कोठारी ने कहा कि वर्ष 2025-26 में कुल कोयला खपत का 7 प्रतिशत बायोमास के उपयोग का लक्ष्य प्राप्त करने का हर संभव प्रयास करें। प्रमुख सचिव कोठारी ने मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश में अधिक से अधिक बायोमास आधारित पैलेट/ब्रिकेट मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहन देने के लिये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग से समन्वय स्थापित करें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संयंत्रों की स्थापना के लिये शासन द्वारा घोषित अनुदान की जानकारी उद्यमियों को उपलब्ध करायी जाये, जिससे इस प्रकार के अधिक से अधिक संयंत्र स्थापित हो सकें। राज्य सरकार द्वारा बायोमास मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों की स्थापना के लिये पूर्ण सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि बायोमास उद्योग के क्रय एवं उपयोग के लिये निविदा संबंधी कार्रवाई की जानकारी पर्यावरण विभाग को उपलब्ध कराई जाये, जिससे पर्यावरण विभाग द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार की कार्रवाई की जा सके। विनोद / 17 अप्रैल 25