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17-Apr-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को बड़ी राहत दे दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करे, और तब तक वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी और न ही वक्फ बाय यूजर संपत्तियों में किसी प्रकार का कोई बदलाव ही किया जाएगा। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से स्टे न देने की अपील करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय मांगा, जिसे पीठ ने मंजूर कर लिया। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने स्पष्ट किया कि अंतरिम रूप से यथास्थिति बनी रहेगी, जिससे किसी पक्ष के अधिकारों को नुकसान न हो। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि धारा 9 और 14 के अंतर्गत परिषद और वक्फ बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं होगी। साथ ही वक्फ बाय यूजर के अंतर्गत आने वाली संपत्तियों को डिनोटिफाई या परिवर्तित नहीं किया जाएगा। वक्फ संबंधी मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन दोपहर दो बजे शुरू हुई। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता 05 दिनों के भीतर केंद्र के जवाब पर जवाब दाखिल कर सकते हैं, जिसके बाद मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध किया जा सकेगा। यहां एसजी तुषार मेहता ने स्टे नहीं लगाने का आग्रह हुए करते कोर्ट से कहा, ऐसा करके आप एक कठोर कदम उठाएंगे। हफ्तेभर का मुझे समय दे दें, ताकि जवाब दाखिल किया जा सके और दिखाया जा सके कि यह सब कैसे हुआ। एसजी तुषार की दलील पर सीजेआई ने कहा, कुछ कमजोरियां थीं तो वहीं कुछ सकारात्मक चीजें भी हैं। ऐसे में हम नहीं चाहते कि स्थिति बदले...। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, केंद्र 7 दिनों के भीतर जवाब देना चाह रहा है। इसी के साथ उन्होंने अदालत को आश्वस्त करते हुए कहा, कि धारा 9 और 14 के तहत परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक वक्फ जिसमें पहले से रजिस्टर्ड या नोटिफिकेशन के जरिए से घोषित वक्फ बाय यूजर शामिल है, को न तो डिनोटिफाई किया जा सकेगा और न ही उसमें कलेक्टर ही कोई बदलाव कर सकेगा। सुप्रीम कोर्ट की त्रिपल बेंच ने एसजी के इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए अंतरिम आदेश जारी कर सरकार को 7 दिन में जवाब देने को कह दिया। इससे पहले, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र से पूछा कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति दी जाएगी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि वक्फ बाय यूजर को कैसे अस्वीकृत किया जा सकता है, क्योंकि कई लोगों के पास ऐसे वक्फों को पंजीकृत कराने के लिए अपेक्षित दस्तावेज नहीं होंगे। इससे पहले वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ दायर 70 से अधिक याचिकाओं की सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया था कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की इजाजत दी जाएगी? जबकि वक्फ (संशोधन) कानून गैर मुसलमानों को वक्फ में नियुक्ती प्रदान करने का अधिकार देता है। अदालत ने यह भी पूछा कि वक्फ बाय यूजर की अवधारणा को कैसे लागू किया जा सकता है, जबकि अधिकांश लोगों के पास ऐसे वक्फ को वैध ठहराने के लिए दस्तावेज नहीं होंगे। हिदायत/ईएमएस 17अप्रैल25