नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पब्लिक स्कूल, द्वारका को उन छात्रों के साथ किसी भी तरह के भेदभाव, उत्पीड़न या अनुचित व्यवहार से रोकने के निर्देश दिए हैं, जिन पर फीस बकाया है। जस्टिस सचिन दत्ता की अदालत ने यह आदेश एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें स्कूल पर छात्रों को कक्षा में न बैठने देने और लाइब्रेरी में बंद रखने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। अदालत के सामने पेश की गई निरीक्षण रिपोर्ट में बताया गया कि अभिभावकों ने अनधिकृत फीस वृद्धि, बकाया फीस के कारण छात्रों का उत्पीड़न, और अनैतिक व्यवहार की शिकायतें दर्ज कराईं थीं। इसके आधार पर शिक्षा निदेशालय के आदेश के तहत 3 अप्रैल को जांच समिति गठित की गई थी और 4 अप्रैल 2025 को दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम जिले के डीएम की की अध्यक्षता में गठित समिति ने द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल का दौरा किया था। अदालत में पेश दिल्ली सरकार की निरीक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, 4 अप्रैल को सुबह 11.00 बजे जब टीम द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल पहुंची तो कमेटी ने पाया कि 9 बच्चों को स्कूल प्रशासन ने 20 मार्च से लाइब्रेरी में बैठाया हुआ है। इसके बाद जब जिला अधिकारी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार की टीम ने छात्रों से बात की, जिन्हें लाइब्रेरी में बैठाया गया था तो उन्होंने बताया कि उन्हें क्लास में जाने की परमिशन नहीं है। कैंटीन तक में नहीं जाने दिया जा रहा और साथ पढ़ने वाले बच्चों से भी बातचीत भी नहीं करने दी जाती। इतना ही नहीं, इंस्पेक्शन रिपोर्ट के मुताबिक इन बच्चों को शौचालय जाने के लिए भी सिक्योरिटी गार्ड के साथ भेजा जाता है, ताकि वे कहीं और न चले जाएं। अजीत झा/ देवेन्द्र/ नई दिल्ली /ईएमएस/17/अप्रैल /2025