टोक्यो (ईएमएस)। जापान में अकेली मौतों का संकट गहराता जा रहा है। इस देश में सामाजिक अलगाव और अकेलेपन की समस्या अब एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। साल 2024 में देशभर में 76,020 लोगों की मौत उनके घर में अकेले हुई, जिनमें से 76.4 प्रतिशत यानी तीन चौथाई से अधिक की उम्र 65 वर्ष या उससे अधिक थी। यह आंकड़े जापान की राष्ट्रीय पुलिस एजेंसी द्वारा जारी किए गए। आंकड़ों के अनुसार, अकेली मौतों के सबसे अधिक मामले 85 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में सामने आए, जिनकी संख्या 14,658 रही। इसके बाद 75-79 वर्ष के आयु वर्ग में 12,567 और 70-74 वर्ष के लोगों में 11,600 मौतें दर्ज की गईं। हैरान करने वाली बात यह रही कि इनमें से लगभग 39.2 प्रतिशत शव 24 घंटे के भीतर मिल गए, लेकिन 7.8 प्रतिशत मामलों यानी 4,538 लोगों के शव एक महीने से भी अधिक समय तक उनके घरों में पड़े रहे, जिनका किसी को पता नहीं चला। पुलिस के मुताबिक, इन मौतों का पता अधिकतर तब चला जब लंबे समय तक डाक इकट्ठा होती रही या पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने व्यक्ति से संपर्क न हो पाने पर चिंता जताई। क्षेत्रवार आंकड़ों में सबसे ज्यादा अकेली मौतों के मामले टोक्यो (7,699) में दर्ज किए गए। इसके बाद ओसाका (5,329), कानागावा (3,659) और आइची (3,411) रहे। यह पहली बार है जब जापान में अकेली मौतों को लेकर इस तरह के आंकड़े आधिकारिक रूप से संकलित किए गए हैं। सरकार अब इन आंकड़ों के आधार पर अकेलेपन और सामाजिक अलगाव की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए नई नीतियां तैयार करने की योजना बना रही है। गौरतलब है कि जापान लंबे समय से कोडोकुशी यानी अकेली मौत की समस्या से जूझ रहा है। यह शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है जो अकेले जीवन बिताते हुए इस दुनिया से चले जाते हैं और जिनकी मौत का पता काफी समय तक किसी को नहीं चलता। यह मुद्दा पहली बार 1980 के दशक में व्यापक रूप से सामने आया था और अब यह बढ़ती बुजुर्ग आबादी और कमजोर सामाजिक रिश्तों के कारण गंभीर रूप ले चुका है। सुदामा/ईएमएस 17 अप्रैल 2025