अवैध पैकारियों से तहस नहस होता समाजिक ताना बाना कटनी (ईएमएस)। एक अप्रैल से नया शराब ठेका शुरू होने के साथ ही जिले भर में आबकारी व्यवस्था पटरी से उतर गई है। नया शराब ठेका शुरू होने के साथ ही ठेकेदार मनमानी करते हुए न केवल प्रिंट रेट से अधिक में शराब की बिक्री कर रहे हैं बल्कि शहर से लेकर गांव-गांव तक पैकारी के माध्यम से अवैध रूप से जमकर शराब की बिक्री हो रही है। जिले की शराब वितरण प्रणाली देखकर ऐसा लग रहा है कि शराब ठेकेदारों के बीच शासन व प्रशासन का नाममात्र भी भय नहीं रह गया है तथा उन्होंने शराब का ठेका लेकर शासन व प्रशासन को अपनी जेब में कैद करके रख लिया है। उधर दूसरी तरफ जिले का आबकारी अमला व थानों की पुलिस भी शराब ठेकेदारों के साथ कदम ताल कर रही है तथा उसी अवैध शराब की बिक्री पर कार्रवाई हो रही हैं। जहां शराब ठेकेदारों की बिना अनुमति के शराब का विक्रय हो रहा है। यदि शराब ठेकेदार से हरिझंडी मिली हुई है तो उस अवैध ठिकाने पर न तो आबकारी अमले और न ही पुलिस की कार्रवाई करने की हिम्मत है। कुल मिलाकर जिले में शराब दुकानों के नए ठेके के बाद अवैध शराब का कारोबार तेजी से बढ़ा है। लाइसेंसी दुकानों की तुलना में अवैध पैकारियों की संख्या अधिक हो गई है। शहर से लेकर गांव-गांव तक यह अवैध कारोबार फैल चुका है। इसके अलावा शराब के प्रिंट रेट से अधिक दाम पर बिकने की शिकायतें आ रही हैं। शराब ठेकेदार फुल बोतल शराब को अंकित मूल्य से 80-100 रुपये अधिक में, हाफ बोतल को 40-60 रुपये अधिक में और क्वार्टर बोतल को 20-30 रुपये अधिक में बेंच कर मोटी कमाई कर रहे हैं। शराब ठेकेदारों द्वारा शराब पर एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि का हवाला देकर अधिक कीमत वसूलने की बात कही जा रही है। प्रिंट रेट से अधिक में शराब का विक्रय होने की वजह से जिले में उपभोक्ता संरक्षण कानून का भी उल्लंघन हो रहा है लेकिन कलेक्टर से लेकर पुलिस अधीक्षक व जिला आबकारी अधिकारी तक में यह हिम्मत नहीं है कि वो शराब ठेकेदारों की मनमानी पर लगाम लगा सकें। सूत्रों के अनुसार कई शराब दुकानें निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत वसूल रही हैं। ग्राहकों को न तो बिल दिया जा रहा है और न ही कोई हिसाब-किताब रखा जा रहा है। इस कारण न केवल उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी हो रही है बल्कि सरकारी राजस्व को भी नुकसान पहुंच रहा है। आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। विभाग अवैध कारोबार पर कार्रवाई करने के बजाय केवल औपचारिकताएं निभा रहा है। जांच के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई की जा रही है। ठोस कार्रवाई के अभाव में अवैध शराब के कारोबारियों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। अवैध शराब की बिक्री और जगह-जगह खुली पैकारियों पर पुलिस की चुप्पी भी संदेह पैदा करती है। खुले आम शराब का अवैध कारोबार हो रहा है लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही। कार्रवाई नहीं होने से होने से पुलिस और ठेकेदारों के बीच गहरी सांठगांठ का संदेह पैदा हो रहा है। शराब के अवैध ठेकेदारों की मनमानी पुलिस और आबकारी विभाग की कार्रवाई में उदासीनता ने शराब माफिया को और अधिक मजबूत कर दिया है। विभाग की इस निष्क्रियता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्थिति महज लापरवाही है या फिर इसके पीछे कोई बड़ा गठजोड़ काम कर रहा है, यह जांच का विषय है। सिंडिकेट बनाकर हो रही लूट सूत्रों के मुताबिक ठेकेदारों ने एक सिंडिकेट बना लिया है जो अवैध वसूली को व्यवस्थित रूप से अंजाम दे रहा है। हर शराब की बोतल और बियर के कैन पर अतिरिक्त वसूली से ठेकेदार हर दिन लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। इस काले धंधे का फायदा सिर्फ ठेकेदारों तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें कई और लोग शामिल होने की बात सामने आ रही है। शराब दुकानों पर निर्धारित मूल्य से अधिक दाम वसूलना अब आम बात हो गई है। ग्राहकों से प्रति बोतल अतिरिक्त लिए जा रहे हैं लेकिन इसके बदले कोई रसीद या बिल नहीं दिया जाता। इससे न सिर्फ उपभोक्ताओं की जेब कट रही है बल्कि टैक्स चोरी का रास्ता भी खुल रहा है। कई ग्राहकों ने शिकायत की है कि जब वे बिल मांगते हैं तो दुकान संचालक टालमटोल करते हैं। संगठित अपराध की तरह व्यवस्थित हुआ कारोबार ठेकेदारों ने शराब की बिक्री को एक संगठित अपराध की तरह व्यवस्थित कर लिया है। यह सिंडिकेट न सिर्फ अवैध वसूली कर रहा है बल्कि नए-नए तरीकों से नियमों को ठेंगा दिखा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर इस सिस्टम को तोडऩे की जिम्मेदारी कौन लेगा। शराब का कारोबार शहर में एक काले धंधे का रूप ले चुका है। लायसेंसी ठेकेदार जो नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हैं, खुद ही नियम तोड़ रहे हैं। निर्धारित मूल्य से अधिक दाम वसूलना, बिल न देना और अवैध पैकारी जैसे काम अब आम हो गए हैं। आबकारी विभाग इस पर नजर रखने के बजाय कागजी कार्रवाई में उलझा है जबकि पुलिस की निष्क्रियता ने ठेकेदारों के हौसले बुलंद कर रही है। हर बोतल और कैन पर अतिरिक्त वसूली से हर दिन लाखों रुपए की काली कमाई हो रही है। जिसका कोई लेखा-जोखा शासन की नजर में नहीं है। कैसे करें शिकायत 1-दुकानदार से शिकायत करें-यदि आप प्रिंट रेट से अधिक दाम दे रहे हैं तो पहले दुकानदार से बात करें और अपनी शिकायत दर्ज करें। 2-एक्साइज विभाग को सूचित करें-यदि दुकानदार आपकी बात नहीं सुनता है तो आप एक्साइज विभाग को शिकायत कर सकते हैं। शराब की दुकान के बाहर एक्साइज विभाग का नंबर लिखा होता है या आप गूगल पर अपने क्षेत्र के एक्साइज विभाग का नंबर खोज सकते हैं। 3-अधिकारी को जानकारी दें-अधिकारी को फोन करके आप प्रिंट रेट से अधिक दाम वसूलने की जानकारी दे सकते हैं और वे दुकानदार से बात करके मामले को सुलझा सकते हैं। 4-जुर्माना लगवाएं-यदि दुकानदार प्रिंट रेट से अधिक दाम वसूलता रहता है तो अधिकारी उसके खिलाफ जुर्माना भी लगा सकते हैं। अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें प्रिंट रेट से अधिक दाम वसूलने से आपकी मेहनत का पैसा खराब हो सकता है इसलिए अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें। .../ 16 अप्रैल /2025