कोई माने या न माने लेकिन मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भाजपा के लिए आज भी हौवा बने हुए हैं। वक्फ (संशोधन) विधेयक का राज्यसभा में विरोध करने पर कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह को ‘‘गद्दार’’ बताने वाले पोस्टर प्रदेश के अनेक शहरों में लगे हुए हैं लेकिन इससे न दिग्विजय सिंह विचलित हैं और न उन्होंने अपना रुख बदला है,उलटे वे भाजपा पर और आक्रामक हो उठे हैं। उन्होंने पलटवार करते हुए भाजपा की जन्मकुंडली खोलना शुरू कर दी है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 78 साल के हो गए हैं और पिछले 54 साल से कांग्रेस के साथ काम कर रहे है। उनके साथ और बाद में आये तमाम राजे-महाराजे और खुद उनके भाई इस बीच कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए लेकिन दिग्विजय सिंह आज भी राजनीति की क्रीज पर हैं क्रीज पर हैं। 2003 में कांग्रस के सत्ताच्युत होने के बाद उन्होंने पूरे एक दशक तक कोई चुनाव नहीं लड़ा लेकिन 2018 में प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के बाद वे एक बार फिर कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हो गये। दिग्विजय सिंह ने पार्टी के महासचिव के रूप मेंही नहीं बल्कि राज्य सभा सदस्य के रूप में अपनी उपस्थिति से भाजपा को परेशान करके रखा। वक्फ बोर्ड क़ानून के मुद्दे पर खुद को गद्दार बताने पर दिग्विजय सिंह ने भाजपाइयों को ही गद्दार कह दिया। उन्होंने दावा किया कि गद्दार तो वे भाजपा कार्यकर्ता हैं जिन्होंने आईएसआई एजेंट के रूप में काम किया है।दिग्विजय सिंह ने याद दिलाया कि आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने मध्य प्रदेश के विभिन्न स्थानों से 2017 में जासूसी गिरोह का हिस्सा होने के आरोप में 11 लोगों को गिरफ्तार किया था।दिग्विजय सिंह पहले भी आरएसएस को लेकर अदालतों का सामना कर चुके हैं। अदालतों ने दिग्विजय को बरी कर दिया ,लेकिन वे आज भी अपने सुर बदलने को तैयार नहीं हैं। दिग्विजय के जितने विरोधी भाजपा में हैं उतने ही कांग्रेस में भी हैं किन्तु वे ऐसे अकेले कांग्रेसी नेता हैं जो आरोपों-प्रत्यारोपों से विचलित नहीं होते उलटे उनका सामना करते है। पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भर्ती ने दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाधार कहा लेकिन वे मुस्कराते रहे। कांग्रेस में उनके ही विरोधियों ने उन्हेंभाजपा का एजेंट कहा लेकिन वे पीछे नहीं हटे। आपको बता दें की वक्फ बोर्ड के नए क़ानून का विरोध करने वाले दिग्विजय सिंह अकेले नेता नहीं है लेकिन उनका विरोध भाजपा को सबसे ज्यादा खटकता है। इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई से पहले सात राज्यों की सरकारें सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं. महाराष्ट्र, असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों ने आवेदन दाखिल कर नए कानून का समर्थन किया है. इन राज्यों ने कहा है कि नया कानून पारदर्शी, न्यायपूर्ण और व्यवहारिक है. कानून के खिलाफ दाखिल याचिकाओं का विरोध करते हुए इन सभी राज्यों ने अपना पक्ष भी सुने जाने की मांग कोर्ट से की है। इस नए क़ानून के विरोध में बंगाल सहित देश के अनेक राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं ,लेकिन निशाने पर दिग्विजय सिंह ही सबसे ज्यादा हैं। दिग्विजय सिंह की वजह से ही कांग्रेस 2018 में प्रदेश की सत्ता में वापस आयी थी और उन्हीं की वजह से 19 महीने बाद सत्ताच्युत भी हो गयी। ऐसा कहा और माना जाता है कि दिग्विजय सिंह की वजह से ही ज्योतिरादित्य सिंदिया ने कांग्रेस का तख्ता पलट किया और भाजपा से जा मिले। राज्य सभा की इकलौती सीट इसकी वजह थी ,लेकिन दिग्विजय सिंह को पार्टी की सरकार जाने का कोई अफ़सोस शायद नहीं है। वे आज भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को निशाने पर रखते हैं। यानी दिग्विजय सिंह का स्वभाव खामोश रहने का नहीं है। इस समय भी कांग्रेस के अध्यक्ष भले ही जीतू पटवारी हैं लेकिन चर्चा में दिग्विजय सिंह ही हैं। दिग्विजय के हमउम्र पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी उस तीव्रता के साथ भाजपा और संघ से जड्ड नहीं ले पाते जिअसे की दिग्विजय ले पाते हैं। अपने आपको गद्दार बताये जाने पर दिग्विजय संघ प्रतिप्रश्न करते हैं कि - ‘‘पाकिस्तान से अलग-अलग खातों में धन जुटाना, ‘वॉयस ओवर’ के जरिए पाकिस्तानियों से बात करना। आप उन्हें क्या कहेंगे? गद्दार? जय सिया राम ? दिग्विजय का समाना करने की हिम्मत कम ही भाजपाई जुटा पाते है। मप्र के एक मंत्री विश्वास सारंग ने जरूर कहा कि कांग्रेस नेता ने ‘‘भगवा आतंकवाद’’ शब्द गढ़ा था जो सनातन धर्म को बदनाम करता है।सारंग ने दिग्विजय सिंह के बारे में कहा,की ‘‘उन्होंने [दिग्विजय सिंह] ने आतंकवादीअफजल को अफजल गुरु कहा, हाफिज सईद का महिमामंडन करने के लिए उसके लिए जी का इस्तेमाल किया, जाकिर नाइक जैसे विघटनकारी व्यक्तियों के सम्मान में मंच साझा किया, हमारी सेना और सैनिकों का अपमान करने के लिए बटला हाउस मुठभेड़, हवाई हमले और सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए। वह हमेशा देश को तोड़ने के लिए बयान देते हैं। उन्होंने हमेशा बिना तथ्यों के आरोप लगाए।’उन्होंने दावा किया कि दिग्विजय सिंह को निशाना बनाने वाले पोस्टर जनता ने लगाए हैं, भाजपा ने नहीं।दिग्विजय सिंह भाजपा के लिए कब तक पोस्टर बॉय बने रहेंगे कहना कठिन है। लेकिन जब भी भाजपा के बनाये पोस्टर फटते हैं उनमें से दिग्विजय ही हीरो बनकर बाहर निकलते दिखाई देते हैं। ईएमएस / 15 अप्रैल 25