मेक इन इंडिया के तहत अब स्वदेशी हथियारों पर जोर नई दिल्ली (ईएमएस)। वर्ष 2020-24 के बीच भारत ने वैश्विक स्तर पर कुल हथियारों का 8.3 प्रतिशत आयात किया और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार खरीदार बना। पहले स्थान पर यूक्रेन रहा, जो कि 2015-19 की तुलना में 100 गुना ज़्यादा हथियार खरीदे। भारत की हथियार खरीद में 2015-19 की तुलना में 9.3 प्रतिशत की गिरावट हुई, जबकि 2019-23 के दौरान यह आंकड़ा 10 प्रतिशत था। गिरावट के बावजूद रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना रहा, लेकिन उसकी हिस्सेदारी कुछ कम हो गई। अब भारत के कुल आयात का 64 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी और पश्चिमी देशों से मिलकर आता है। रूस की वैश्विक हथियार बिक्री में भी 64 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले ही शुरू हो गई थी। भारत और चीन जैसे देशों से कम ऑर्डर मिलने के कारण रूस की हिस्सेदारी 7.8 प्रतिशत पर आ गई। भारत लंबे समय से रूस का बड़ा हथियार खरीदार रहा है। 2000 से 2019 के बीच भारत ने अपने 62 प्रतिशत हथियार रूस से लिए थे और वह रूस के कुल हथियार निर्यात का 32 प्रतिशत हिस्सा था। लेकिन अब मोदी सरकार के आने के बाद स्वदेशी रक्षा निर्माण की ताकत बढ़ रही है। मेक इन इंडिया के तहत भारत रक्षा उत्पादन के मामले में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 1.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जबकि रक्षा निर्यात 23,622 करोड़ के शीर्ष पर पहुंचा। अमेरिका, फ्रांस, इज़राइल और अन्य पश्चिमी देशों से सहयोग बढ़ने से भारत के पास विकल्प भी बढ़े हैं। भारत ने फ्रांस से राफेल और स्कॉर्पीन पनडुब्बी, अमेरिका से एमक्यू-9ए ड्रोन, अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर, एम-777 तोपें खरीदी हैं। इज़राइल से भी भारत ने स्पाइक मिसाइल, फाल्कन सिस्टम और ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकें हासिल की हैं। रूस अब भी भारत को हथियार देने को तैयार है, लेकिन भारत एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता और वैश्विक साझेदारियों के जरिए अपने रक्षा क्षेत्र को संतुलित कर रहा है। आशीष/ईएमएस 15 अप्रैल 2025