ज़रा हटके
15-Apr-2025
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लंदन (ईएमएस)। हर 3,000 में से एक व्यक्ति के शरीर में एक खराब जीन होता है, जिससे उनके फेफड़े फटने का खतरा बढ़ जाता है। इसको ‘न्यूमोथोरैक्स’ कहा जाता है, जो फेफड़ों से हवा के रिसाव के कारण होता है। इस बीमारी के कारण फेफड़ा पिचक सकता है, जिससे गंभीर दर्द और सांस लेने में तकलीफ होती है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 5.5 लाख से अधिक लोगों पर अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। उन्होंने पाया कि हर 2,710 से 4,190 लोगों में से एक में एफएलसीएन नामक जीन का एक दुर्लभ रूप होता है, जो बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम नामक आनुवंशिक बीमारी की ओर इशारा करता है। यह बीमारी न केवल फेफड़ों में गांठें (सिस्ट) बनाती है, बल्कि किडनी कैंसर का खतरा भी कई गुना बढ़ा देती है। अध्ययन के अनुसार, जिन मरीजों को यह सिंड्रोम था, उनमें जीवनभर फेफड़े फटने का जोखिम 37प्रतिशत तक देखा गया। वहीं, सिर्फ एफएलसीएन जीन में बदलाव वाले लोगों में यह खतरा घटकर 28प्रतिशत रह गया। किडनी कैंसर के मामले में, बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम से ग्रसित लोगों में यह खतरा 32प्रतिशत था, जबकि केवल इस जीन वाले लेकिन स्वस्थ लोगों में यह महज 1प्रतिशत पाया गया। प्रोफेसर मार्सिनियाक का कहना है कि यह देखकर हैरानी होती है कि केवल खराब जीन वाले लोगों में बीमारी का खतरा अपेक्षाकृत कम है, जिससे संकेत मिलता है कि बीमारी के लिए अन्य कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि लंबे और दुबले-पतले युवा पुरुषों में फेफड़ा पंक्चर होने की संभावना अधिक होती है, हालांकि अधिकांश मामलों में यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। अगर कोई व्यक्ति सामान्य लक्षणों के बिना इस समस्या से जूझता है, तो डॉक्टर एमआरआई की मदद से फेफड़ों में मौजूद गांठों की जांच करते हैं। यदि बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम की पुष्टि हो जाए, तो इससे परिवार के अन्य सदस्यों में भी किडनी कैंसर का जोखिम पहचाना जा सकता है। सुदामा/ईएमएस 15 अप्रैल 2025