बेंगलुरु (ईएमएस) कर्नाटक की राजनीति इन दिनों जातिगत सर्वे की लीक रिपोर्ट को लेकर गरमा गई है, जिसमें राज्य में पिछड़ी जातियों का आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने और मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश की गई है। इस रिपोर्ट के बाद सत्ताधारी दल कांग्रेस के भीतर ही विरोध देखने को मिल रहा है। लीक हुए आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक की कुल आबादी (2011 जनगणना के अनुसार) 5.9 करोड़ थी, जिसमें ओबीसी आबादी 4।16 करोड़ (करीब 71%) है। इस सर्वे में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को शामिल नहीं किया गया है। इस प्रस्ताव के अनुसार, मुस्लिम समुदाय को अब तक मिले 4% आरक्षण को दोगुना कर 8% कर दिया जाएगा, जबकि लिंगायत और वोक्कालिगा जैसे प्रभावशाली समुदायों का कोटा सीमित रखा गया है। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही कांग्रेस पार्टी के भीतर ही कई नेता बगावती तेवर दिखाने लगे हैं। कई नेताओं ने इसे अवैज्ञानिक, राजनीतिक रूप से प्रेरित और जनसंख्या आधारित नहीं बताया। लिंगायत और वोक्कालिगा नेताओं को यह बात खल रही है कि उनकी आबादी अधिक होने के बावजूद उन्हें अपेक्षाकृत कम आरक्षण दिया गया है। सर्वे रिपोर्ट में ओबीसी आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने की सिफारिश है। मुस्लिम समुदाय को ओबीसी में शामिल कर 8% आरक्षण देने की सिफारिश की गई है। कांग्रेस नेताओं में आंतरिक मतभेद देखने को मिल रहा है। कुछ समर्थन में हैं वहीं कुछ विरोध में हैं। लिंगायत, वोक्कालिगा और दलित समुदाय के नेता रिपोर्ट से नाराज हैं। मुस्लिम समुदाय को 18% ओबीसी आबादी मानते हुए 8% आरक्षण की सिफारिश की गई है, जो कि मौजूदा 4% से दोगुना है। हालांकि, विपक्ष और कुछ कांग्रेस नेता इस पर आपत्ति जता रहे हैं। उनके अनुसार, यह सिफारिश समाज में और ज्यादा ध्रुवीकरण ला सकती है। गौरतलब है कि मुस्लिमों को कर्नाटक में पहले ही शिक्षा और नौकरियों में 2बी श्रेणी के तहत ओबीसी आरक्षण प्राप्त है, और अब यह प्रस्ताव इसे और व्यापक बनाने की कोशिश कर रहा है। लिंगायत (3बी श्रेणी) और वोक्कालिगा (3ए श्रेणी) समुदाय कर्नाटक की राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं। लेकिन रिपोर्ट में इन्हें अपेक्षाकृत कम आरक्षण प्रतिशत (8% और 7%) दिया गया है, जबकि उनकी जनसंख्या क्रमशः 81.3 लाख और 73.1 लाख बताई गई है। इस असंतोष के कारण ही कांग्रेस सरकार पर अंदरूनी दबाव बढ़ रहा है। कुछ नेताओं ने तो यहां तक कह दिया है कि यदि यह डेटा लागू किया गया, तो इसका राजनीतिक असर कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा। बीजेपी और जनता दल (सेक्युलर) ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह सारा प्रयास मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि यह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और कोई भी निर्णय लेने से पहले व्यापक चर्चा हो। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की अध्यक्षता में 17 अप्रैल को एक विशेष कैबिनेट बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस लीक रिपोर्ट को लेकर स्थिति स्पष्ट की जाएगी। यह बैठक तय करेगी कि सरकार इस सर्वे रिपोर्ट को स्वीकार करती है या इसे खारिज करती है। सुबोध/१४-०४-२०२५